Last Updated: Friday, February 17, 2012, 15:47
नई दिल्ली : सरकार दूरसंचार कंपनियों से अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए भावी आधार पर एकमुश्त शुल्क वसूलने पर विचार कर रही है। सरकार के इस कदम से भारती एयरटेल व वोडाफोन जैसी पुरानी कंपनियों को राहत मिल सकती है।
दूरसंचार विभाग ने केंद्रीय मंत्रालयों के समक्ष दी गई प्रस्तुति में कहा, 'ट्राई द्वारा सुझाई गई प्रति मेगाहर्ट्ज की मौजूदा कीमत शायद वास्तविक बाजार कीमत को परिलक्षित नहीं करे। इसलिए कीमत निर्धारण नीलामी के आधार पर हो। इसमें कहा गया है कि एक सिफारिश यह भी है कि जीएसएम व सीडीएमए बैंड में कमश: 4.4 से 6.2 मेगाहर्ट्ज और 2.5 से 5.0 मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम जिसका पहले ही आवंटन किया जा चुका है, पर भावी शुल्क वसूला जा सकता है। इसमें कहा गया है कि जीएसएम बैंड में 6.2 मेगाहर्ट्ज तथा सीडीएमए में पांच मेगाहर्ट्ज से इतर पहले ही आवंटित स्पेक्ट्रम के लिए भावी आधार पर शुल्क लिया जा सकता है।
उल्लेखनीय है कि इससे पहले सरकार 6.2 मेगाहर्ट्ज की अनुबंधित सीमा से परे अतिरिक्त स्पेक्ट्रम के लिए आवंटन की तिथि से एकमुश्त शुल्क वसूलने पर विचार कर रही थी। इससे पुरानी जीएसएम कंपनियों पर भारतीय वित्तीय बोझ पड़ता। भारती, वोडाफोन और आइडिया जैसी प्रमुख दूरसंचार कंपनियों सरकार के इस तर्क का विरोध कर रही थी। उनका कहना है कि दूरसंचार लाइसेंस में इस तरह का कोई प्रावधान नहीं है जिसके तहत ऐसा शुल्क लगाया जा सके।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 17, 2012, 21:17