अब दूसरे राज्यों में महंगी बिजली - Zee News हिंदी

अब दूसरे राज्यों में महंगी बिजली

नई दिल्ली.  अगर आप दिल्ली में बढ़ी बिजली दरों से बच गए हैं तो इस बार शायद ना बच पाएं, क्योंकि केन्द्र सरकार ने राजनीतिक वजहों से बिजली की दरें नहीं बढ़ा रहे राज्यों को अल्टीमेटम दे दिया है. यानी दिल्ली के बाद अब दूसरे राज्यों का नंबर है.

केंद्र सरकार ने साफ कह दिया है कि अगर इन राज्यों ने बिजली की दरें नहीं बढ़ाई तो उन्हें अगले वित्त वर्ष के लिए बिजली सुधार में ज्यादा केंद्रीय मदद नहीं दी जा सकेगी. इन राज्यों में तमिलनाडु, कर्नाटक, महाराष्ट्र, पंजाब झारखंड सहित लगभग दर्जन भर राज्य शामिल हैं. सूत्रों के अनुसार ये राज्य दिसंबर, 2011 तक बिजली की दरों को बढ़ा सकते हैं.

वहीं बिजली मंत्रालय दिल्ली में बिजली की दरों में 21 फीसदी की औसत वृद्धि करने के फैसले से खुश नजर आ रही है. केन्द्र का कहना है कि राज्यों को यह समझना होगा कि बिजली की दरों को तर्कसंगत बनाए बगैर अब काम नहीं चलने वाला. कई राज्यों ने पिछले पांच वर्ष से बिजली की दरों में कोई वृद्धि नहीं की है. इन राज्यों में उत्तर भारत के अधिकांश राज्य शामिल हैं. सूत्रों का कहना है कि जब से बिजली उत्पादन की दरें लगातार बढ़ती जा रही हैं और दरों में वृद्धि नहीं करने की वजह से राज्यों की बिजली इकाइयों को वर्ष 2009-10 में 70 हजार करोड़ रुपये का घाटा हुआ है.

 

ताजा आंकड़े बताते हैं कि हरियाणा में बिजली उत्पादन की लागत और शुल्क में 10 फीसदी का अंतर है जबकि मध्य प्रदेश में 17 फीसदी, उत्तर प्रदेश में 29 फीसदी, राजस्थान में 37 फीसदी, कर्नाटक में 22 फीसदी और तमिलनाडु में 40 फीसदी का है.

इसका मतलब यह हुआ कि उत्तर प्रदेश में बिजली दरों में 29 फीसदी तो हरियाणा में 10 फीसदी की वृद्धि करने की जरूरत है. राज्यों के बिजली बोर्डो की वित्तीय स्थिति पर विचार करने के लिए शुंगलू समिति की रिपोर्ट का इंतजार किया जा रहा है. यह रिपोर्ट अगले एक महीने के भीतर आने की संभावना है. उसके बाद राज्य बिजली की दरों को बढ़ाने का फैसला कर सकते हैं. इस रिपोर्ट के आधार पर केंद्र राज्य सरकारों की तरफ से बिजली क्षेत्र को दी जाने वाली सब्सिडी को नियंत्रित करने की कोशिश करेगा.

इस घाटे पर प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से लेकर बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे तक चिंता जाहिर कर चुके हैं.

First Published: Sunday, August 28, 2011, 16:35

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