Last Updated: Tuesday, June 12, 2012, 13:00

नई दिल्ली: अर्थव्यवस्था में सुस्ती का दौर जारी है। औद्योगिक वृद्धि के ताजा आंकड़ों से यह बात साबित होती है। पूंजीगत उत्पादों और विनिर्माण उत्पादन में गिरावट के कारण औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर इस साल अप्रैल महीने में भारी गिरावट के साथ 0.1 फीसद पर आ गई। औद्योगिक वृद्धि में गिरावट को देखते हुए रिजर्व बैंक पर ब्याज दरों में कटौती का दबाव बन सकता है।
औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के आधार पर आंके जाने वाली औद्योगिक वृद्धि पिछले साल के अप्रैल महीने में 5.3 फीसद थी। यहां आज जारी आधिकारिक आंकड़े के मुताबिक सूचकांक में 75 फीसद का योगदान करने वाले विनिर्माण क्षेत्र में मात्र 0.1 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई जबकि अप्रैल 2011 में यह 5.7 फीसद थी।
पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन 16.3 फीसद घटा जबकि पिछले साल के उसी महीने में इसमें 6.6 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई।
खनन उत्पादन में अप्रैल के महीने में 3.1 फीसद की गिरावट आई जबकि पिछले साल के उसी महीने में 1.6 फीसद वृद्धि हुई थी।
औद्योगिक उत्पादन में गिरावट से रिजर्व बैंक पर नीतिगत ब्याज दरों में कटौती का दबाव बन सकता है। केंद्रीय बैंक 18 जून को मौद्रिक नीति की मध्य तिमाही समीक्षा करने वाला है।
हालांकि उपभोक्ता उत्पादों के उत्पादन में अप्रैल के दौरान अपेक्षाकृत अधिक तेजी दर्ज हुई। उक्त अवधि में इस क्षेत्र ने 5.2 फीसद की वृद्धि दर्ज की जबकि पिछले साल अप्रैल में यह 3.2 फीसद थी।
टिकाउ उपभोक्ता खंड में अप्रैल के दौरान पांच फीसद की बढ़ोतरी हुई जबकि पिछले साल के इसी महीने में 1.6 की वृद्धि दर्ज हुई थी। बिजली उत्पादन अप्रैल के दौरान 4.6 फीसद की वृद्धि हुई जो अपेक्षाकत कम है। पिछले साल की समीक्षाधीन अवधि में यह 6.5 फीसद थी। कुल मिलाकर विनिर्माण क्षेत्र के 22 में से 12 औद्योगिक समूह ने अप्रैल 2012 के दौरान पिछले साल के मुकाबले सकारात्मक वृद्धि दर्ज की। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 12, 2012, 13:00