‘आईटी, पर्यावरण पर WTO का समझौता स्वीकार्य नहीं’

‘आईटी, पर्यावरण पर WTO का समझौता स्वीकार्य नहीं’

नई दिल्ली : भारत का कहना है कि वह विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) में कुछ विकसित देशों द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी एवं पर्यावरणीय सामानों के बारे में पेश किए जा रहे किसी समझौते को स्वीकार नहीं करेगा क्योंकि देश का मामना है कि इसका घरेलू उद्योग धंधों पर बहुत प्रतिकूल असर होगा।

अमेरिका सहित कुछ अन्य धनी देश चाहते हैं कि भारत तथा अन्य उदीयमान अर्थव्यवस्थाएं इन समझौतों में शामिल हों। धनी देश व्यापार में सुविधा (टीएफ), सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी), पर्यावरणीय उत्पाद तथा अंतरराष्ट्रीय सेवा- इन चार क्षेत्रों में समझौता चाहते हैं।

एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा,‘आईटी तथा पर्यावरणीय उत्पाद समझौते पर भारत अपनी अनिच्छा स्पष्ट रूप से दिखा चुका है। हम इस धारणा के खिलाफ हैं। टीएफ पर हमने ना नहीं कहा है लेकिन हम हालात पर विचार कर रहे हैं। जहां तक अंतरराष्ट्रीय सेवा समझौते का सवाल है हम इस पर दूरी से ही निगाह रखेंगे और फिर कोई फैसला करेंगे।’ इन चार मामलों में समझौते से होने वाले व्यापार फायदा इस पर हस्ताक्षर करने वालों के बीच ही बंटेगा।

अधिकारी ने कहा कि अमेरिका तथा यूरोप इन समझौतों पर हस्ताक्षर को बेचैन हैं और इनमें विकासशील तथा अल्प विकसित देशों के हितों को बाहर रखा गया है।

उन्होंने कहा कि विकसित देश दोहा दौर की व्यापार वार्ताओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय ऐसे समझौतों पर हस्ताक्षर करना चाहते हैं जिनसे विकासशील व अल्पविकसित देशों के बजाय उन्हें अधिक फायदा हो।

अधिकारी ने कहा,‘आईटी क्षेत्रवार समझौता है। पर्यावरणीय उत्पादन भी क्षेत्रवार समझौता होगा। तो वे क्या कर रहे हैं कि उन क्षेत्रों को चुन रहे हैं जहां विकसित देश मजबूत हैं। वे इनमें आपकी सहमति चाह रहे हैं क्योंकि अगर आप सहमत नहीं होते और कल समझौते में शामिल होने का फैसला करते हैं तो आपको लागत चुकानी होगी।’ (एजेंसी)

First Published: Sunday, January 13, 2013, 19:49

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