Last Updated: Sunday, April 29, 2012, 17:40
नई दिल्ली : फर्जी पैन कार्ड की समस्या पर अंकुश लगाने तथा सही बायोमीट्रिक आंकड़े सुनिश्चित करने के दोहरे उद्देश्य से सरकार ने आधार तथा पैन के ब्यौरों को मिलाने की बड़ी परियोजना शुरू की है। नंदन निलेकणी के नेतृत्व वाला भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (यूआईडीएआई) आधार संख्या जारी कर रहा है जिसे अब स्थायी खाता संख्या (पैन) के आंकड़ों से जोड़ा जा रहा है। पैन कार्ड से संबंधित सूचनाओं का रखरखाव आयकर विभाग करता है।
वित्त मंत्रालय इस बारे में निर्णय को रोके रखा था क्योंकि उसका मानना था कि दोनों एजेंसियां (यूआईडीएआई तथा आयकर विभाग) का लक्ष्य बायोमीट्रिक आधारित पहचान तैयार करना है और इससे दोनों एजेंसियों का काम एक जैसा होने जा रहा है। वित्त मंत्रालय ने 2006 में बायोमीट्रिक पैन कार्ड जारी करने का प्रस्ताव रखा था। वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘आधार तथा पैन आंकड़ों को समन्वित करने का निर्णय किया गया है। इससे दोनों एजेंसियों को सही आंकड़ा रखने में मदद मिलेगी। जहां आधार से नागरिकों को सरकारी योजनाओं के आवंटन में मदद मिलेगी वहीं बायोमीट्रिक पैन कार्ड से फर्जी पैन कार्ड तथा उसके आधार पर होने वाले आर्थिक अपराधों को रोकने में सहायता मिलेगी।’
वित्त मंत्रालय ने 2006 में बायोमीट्रिक पैन कार्ड में संबंधित व्यक्ति के दोनों हाथों की अगुंलियों तथा चेहरे के निशान होने का प्रस्ताव दिया था। अधिकारी ने कहा कि इस कदम उद्देश्य दोनों विभागों के काम के दोहराव तथा कर चोरी करने तथा राष्ट्र विरोधी तत्वों द्वारा की जाने वाली धोखाधड़ी को रोकना है। कई मामलों में आयकर विभाग ने कई व्यक्तियों के पास कई पैन कार्ड का पता लगाया है। इसका उपयोग कर चोरी तथा बेनामी संपत्ति बनाने में किया जा रहा था।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, April 29, 2012, 23:10