Last Updated: Friday, February 3, 2012, 13:23
नई दिल्ली : उद्योग जगत ने सरकार से आर्थिक गतिविधियां बढ़ाने के लिए निवेश प्रोत्साहन भत्ता फिर शुरू करने तथा व्यक्तिगत आयकर देने वालों को और अधिक छूट देने का सुझाव दिया है। उद्योग जगत ने कहा है कि सालाना ढाई लाख रुपये तक की आय करमुक्त होनी चाहिए तथा 30 प्रतिशत की उच्चतम दर आठ लाख के बजाय दस लाख रुपये की आय वालों पर लागू होनी चाहिए।
उद्योग मंडल फिक्की ने कहा है कि कंपनी कर में कोई छेड़छाड़ नहीं होना चाहिए जबकि एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम ने इसमें कमी लाने का आग्रह किया है। वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी के साथ शुक्रवार को यहां हुई बजट पूर्व बैठक में उद्योग प्रतिनिधियों ने निवेश में तेजी और आर्थिक गतिविधियों के विस्तार के विषय में अपने सुझाव दिए गए। उद्योग संगठन फिक्की, एसोचैम, सीआईआई, निर्यातकों के संगठन फियो और एसईजेड एवं निर्यातोन्मुखी इकाईयों की निर्यात संवर्धन परिषद के अध्यक्ष एवं प्रतिनिधि इस बैठक में शामिल थे।
फिक्की के अध्यक्ष आरवी कनोरिया ने कहा कि मौजूदा कठिन परिस्थितियों को देखते हुए कोयला खदानों का निजीकरण और विदेशों में रखे कालेधन की वापसी के लिए एकबारगी माफी योजना लाने पर विचार करना चाहिए। फिक्की ने सार्वजनिक उपक्रमों के अलावा ऐसी अन्य सरकारी परिसंपत्तियों का एक समूह बनाने का सुझाव दिया जिन्हें बेचा जा सकता है।
फिक्की ने सरकारी खजाने पर दबाव पर बढ़ते दबाव को देखते हुए कंपनी कर में कमी किए जाने की मांग नहीं की। पर उद्योग मंडल ने न्यूनतम वैकल्पिक कर (मैट) को तर्कसंगत बनाने का सुझाव देते हुए कहा कि इसी दर पर कंपनियों पर लागू आयकर की दर के 50 प्रतिशत से अधिक नहीं होनी चाहिए।
(एजेंसी)
First Published: Friday, February 3, 2012, 18:53