आरबीआई ने फिर बढ़ाई ब्‍याज दरें - Zee News हिंदी

आरबीआई ने फिर बढ़ाई ब्‍याज दरें

जी न्यूज ब्यूरो/एजेंसी
मुंबई : भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को दिवाली से एक दिन पहले महंगाई पर चोट करते हुए रेपो और रिवर्स रेपो में चौथाई फीसदी वृद्धि कर दी। इससे जहां एक तरफ बैंकों के विभिन्न कर्ज महंगे होंगे, वहीं दूसरी तरफ मांग कमजोर पड़ने से आर्थिक वृद्धि की रफ्तार और धीमी होगी। मार्च, 2010 के बाद से यह 13वां मौका है जब रिजर्व बैंक ने रेपो और रिवर्स रेपो दरें बढ़ाई हैं। ताजा वृद्धि के बाद रेपो दर 8.5 प्रतिशत और रिवर्स रेपो 7.5 प्रतिशत हो गई है।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डुवुरी सुब्बाराव ने मंगलवार को यहां ऋण एवं मौद्रिक नीति की दूसरी तिमाही की समीक्षा जारी करते हुए बैंकों में बचत खाते पर ब्याज दरों को तुरंत प्रभाव से नियंत्रणमुक्त करने की घोषणा की। इससे जमा खाते पर भी बैंक ग्राहकों को अधिक ब्याज मिलने की उम्मीद है। आर्थिक वृद्धि के मोर्चे पर अपनी पहले की भविष्यवाणी को संशोधित करते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि 7.6 प्रतिशत रहेगी। बैंक ने पहले आठ प्रतिशत वृद्धि की भविष्यवाणी की थी।

 

रिजर्व बैंक नीति की घोषणा होते ही प्रमुख बैंकरों ने कहा है कि लागत बढ़ने के साथ ही वे भी ब्याज दरों में वृद्धि करेंगे। मौद्रिक समीक्षा में कहा गया कि मुद्रास्फीति अभी भी दहाई अंक के आसपास बनी हुई है। इसमें दिसंबर, 2011 से नरमी आने लगेगी और मार्च, 2012 के अंत तक यह घटकर सात प्रतिशत पर आ जाएगी।

 

बहरहाल, रिजर्व बैंक ने नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) और बैंक दर दोनों को छह प्रतिशत पर स्थिर रखा है जबकि सांविधिक तरलता अनुपात (एसएलआर) भी 24 प्रतिशत पर ही कायम है। वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने मौद्रिक नीति घोषणा पर कहा, ‘रिजर्व बैंक गवर्नर ने जो निर्णय लिया है यह उसकी मुद्रास्फीति को कम करने की प्रतिबद्धता के अनुरूप है, क्योंकि प्रमुख मुद्रास्फीति अभी भी काफी ऊंची बनी हुई है। मुझे उम्मीद है कि इसके परिणामस्वरूप आने वाले समय में इसमें नरमी आएगी।’
मुखर्जी ने हालांकि यह भी स्वीकार किया, ‘इसका आर्थिक वृद्धि पर भी कुछ असर होगा। लेकिन स्थिति मुश्किल बनी हुई है और ऐसे में हम सामान्य स्थिति की उम्मीद नहीं कर सकते हैं।’

 

उद्योग जगत को इस बार रिजर्व बैंक द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने की उम्मीद नहीं थी। बहरहाल, 13वीं बार दरें बढ़ने पर उद्योगों ने भी चिंता व्यक्त की और कहा कि ब्याज दरों में और वृद्धि से आर्थिक वृद्धि कमजोर होगी। वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा, ‘रिजर्व बैंक द्वारा एक और वृद्धि से आर्थिक वृद्धि और कमजोर होगी और अन्य सभी संकेतकों पर भी इसका असर होगा।’
हालांकि, उद्योगों में इस बात को लेकर राहत महसूस की जा सकती है कि रिजर्व बैंक ने दिसंबर में होने वाली मध्य तिमाही समीक्षा में अल्पकालिक नीतिगत दरों में और वृद्धि की संभावनाएं कमजोर बताई हैं।

 

आरियंटल बैंक ऑफ कामर्स के कार्यकारी निदेशक एस.सी. सिन्हा ने कहा, ‘रिजर्व बैंक के इस कदम के बाद बैंक जमा और कर्ज दोनों में ही ब्याज दरों में वृद्धि कर सकते हैं। कर्ज पर न्यूनतम 0.25 प्रतिशत तक वृद्धि हो सकती है।’ आईडीबीआई बैंक के कार्यकारी निदेशक आर.के. बंसल ने कहा कि कर्ज पर ब्याज दरों में वृद्धि दो बातों पर बढ़नी निश्चित है। पहला रिजर्व बैंक ने अल्पकालिक नीतिगत दरों में वृद्धि की है और दूसरा बचत खाते पर ब्याज दरों को नियंत्रणमुक्त किया गया है। इन दोनों ही कदमों से बैंकों के लिए धन महंगा होगा। इससे ब्याज दरें बढ़ेंगी।

First Published: Thursday, October 27, 2011, 09:50

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