Last Updated: Wednesday, July 10, 2013, 00:24

मुंबई : रिजर्व बैंक और सेबी के हस्तक्षेप से रपया में दो दिनों से जारी गिरावट आज थम गई और डॉलर के मुकाबले यह 60.14 प्रति डॉलर पर बंद हुआ। रुपया कल 61.21 प्रति डॉलर की तलहटी पर चला गया था। रिजर्व बैंक और बाजार नियामक सेबी ने रुपया में उतार-चढ़ाव एवं मुद्रा डेरिवेटिज बाजार में अटकलों पर लगाम लगाने के उपायों की घोषणा की जिससे रुपया में गिरावट थामने में मदद मिली।
भारतीय रिजर्व बैंक ने आज सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को आदेश दिया कि वे अपनी जरूरत की डॉलर खरीदारी किसी एक ही सार्वजनिक बैंक से करें ताकि मुद्रा में उतार चढाव पर काबू पाया जा सके। घटनाक्रम से सीधे जुड़े सूत्रों ने यह जानकारी दी। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की तेल रिफाइनरियों ने रिजर्व बैंक के इस आदेश के तत्काल प्रभाव से कार्यान्वयन पर सहमति जताई है। सार्वजनिक तेल रिफाइनरी कंपनियां अमेरिकी डॉलर की सबसे बड़ी खरीदार हैं। कंपनियां इस बात के लिये भी तैयार हैं कि रिजर्व बैंक उन्हें सीधे डॉलर उपलब्ध कराये।
रिजर्व बैंक ने इंडियन आयल, हिंदुस्तान पेट्रोलियम, भारत पेट्रोलियम तथा मेंगलूर रिफाइनरी को यह आदेश दिया है कि वे अपने 8 से 8.5 अरब डॉलर की मासिक अमेरिकी डालर जरूरत के लिए अनेक बैंकों से बोली नहीं लें।
रुपये में गिरावट को थामने के प्रयास में सरकार की मदद के इरादे से भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने मुद्रा डेरिवेटिव कारोबार के नियम कड़े कर दिए हैं ताकि बाजार में सट्टेबाजी गतिविधियों पर लगाम लग सके। सेबी ने रिजर्व बैंक के साथ परामर्श करने के बाद कल रात यह फैसला किया। सेबी ने कहा कि नए नियम 11 जुलाई से लागू होंगे। सेबी मुद्रा डेरिवेटिव सहित पूंजी बाजार पर निगाह रखता है।
सेबी के इस कदम के बाद नेशनल स्टाक एक्सचेंज ने एक्सचेंज में कारोबार वाले मुद्रा डेरिवेटिव्स में ब्रोकरों के लिए दाव लगाने की सीमा कसने के अलावा मार्जिन भी बढ़ा दी गयी है। मुद्रा डेरिवेटिव कारोबार के जरिये व्यापारी और निवेशक भविष्य की विनिमय दर के अपने अनुमान के आधार पर वायदा और विकल्प (डेरिवेटिव) सौदे करते हैं। समझा जाता है कि सटोरिया गतिविधियां बढने के कारण भी विदेशी विनिमय बाजार में भारतीय मुद्रा पर दबाव बढ़ा है।
सोमवार को जारी परिपत्र में सेबी ने कहा है कि ब्रोकर और उनके ग्राहक के लिए मुद्रा डेरिवेटिव्स पर अनुबंध की सीमा को कम किया जा रहा है और साथ ही डालर-रुपया अनुबंध में उनके मार्जिन को दोगुना किया जा रहा है। ब्रोकर अपने कुल विदेशी मुद्रा सौदों के 15 प्रतिशत या पांच करोड़ डॉलर, में से जो भी कम होगा, उसके बराबर ही डेरिवेटिव अनुबंध कर सकेंगे। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, July 10, 2013, 00:24