Last Updated: Tuesday, June 19, 2012, 00:18
मुंबई : ब्याज दरों में कमी की वकालत करने वाले उद्योग जगत को को कड़ा जवाब देते हुये रिजर्व बैंक ने आज कहा कर्ज महंगा नहीं है, आर्थिक वृद्धि में नरमी के लिये दूसरी वजह ज्यादा जिम्मेदार हैं।
रिजर्व बैंक की आज जारी मध्य तिमाही समीक्षा में कहा गया है कि अनुमानों से यह बात सामने आई है कि कर्ज की वास्तविक प्रभावी बैंक ब्याज दर, हालांकि, यह सकात्मक बनी हुई है, लेकिन वर्ष 2003 से लेकर 2008 के उच्च आर्थिक वृद्धि के दौर के समय में देखे गये स्तर से कम है। इससे साबित होता है कि ब्याज दरों के अलावा दूसरे भी कारक हैं जिनका आर्थिक नरमी पर ज्यादा असर है।
समाप्त वित्त वर्ष 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अग्रिम अनुमान लगाया गया है। यह वृद्धि पिछले नौ साल की सबसे कम वृद्धि रही है। उद्योग जगत सहित सरकार की तरफ से भी कई बार इस तरफ इशारा किया गया कि आर्थिक वृद्धि में नरमी के लिये कर्ज की उंची ब्याज दरें जिम्मेदार हैं। रिजर्व बैंक ने महंगाई की चिंता करते हुये मार्च 2010 से लेकर अक्तूबर 2011 तक 13 बार ब्याज दरों में वृद्धि की थी। हालांकि, थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति अभी भी आठ प्रतिशत के ईद गिर्द चल रही है लेकिन आर्थिक वृद्धि पिछले नौ साल के निचले स्तर तक पहुंच चुकी है।
समीक्षा में कहा गया है कि आपूर्ति पक्ष की वजह से औद्योगिक उत्पादन में नरमी और मांग पक्ष की वजह से कमजोर निवेश को देखते हुए आर्थिक वृद्धि में नरमी आई है। अप्रैल 2012 में औद्योगिक उत्पादन सूचकांक में मात्र 0.1 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई। विनिर्माण खरीद प्रबंधकों के सूचकांक में मई में विस्तार गतिविधियां जारी रहने इस क्षेत्र में नरमी का सवाल ही खड़ा नहीं होता। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, June 19, 2012, 00:18