Last Updated: Friday, December 23, 2011, 08:50
नई दिल्ली : वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी ने कहा कि सरकार आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने के प्रति वचनबद्ध है और आर्थिक महत्व के विधेयकों पर राजनीतिक आम सहमति बनाने में लगी है।
मुखर्जी ने यह भी स्पष्ट किया कि सरकार ने बहु ब्रांड खुदरा दुकानदारी के क्षेत्र में विदेशी कंपनियों को प्रवेश देने के प्रस्ताव को भले ही टाल दिया गया हो, पर इसे ‘ठंडे बस्ते’ में नहीं डाला है।’ मुखर्जी यहां पीचडी वाणिज्य उद्योग मंडल की 106वीं वाषिर्क आमसभा का औपचारिक उद्घाटन कर रहे थे। उन्होंने कहा कि सरकार के निर्णय की प्रक्रिया पर कुछ कहते समय गठबंधन की विवशताओं को भी ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘हमारे पास पूरी संख्या नहीं है। पहली संप्रग सरकार में हमारे 147 सदस्य थे और इस समय 208 हैं जो 272 (लोकसभा बहुमत) से कम हैं।’
वित्त मत्रीं ने कहा, ‘सरकार पेंशन कोष विनियमन एवं विकास प्राधिकरण (पीएफआरडीए) समेत विभिन्न विधेयकों पर आम सहमति बनाने का प्रयास कर रही है।’ उन्होंने आर्थिक सुधारों को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता को दोहराते हुए कहा कि खुदरा क्षेत्र में एफडीआई के प्रस्ताव को ठंडे बस्ते में नहीं डाला गया है।
उल्लेखनीय है कि मंत्रिमंडल ने बहुब्रांड खुदरा दुकानदारी करने वाली कंपनियों में विदेशी फर्मों को 51 प्रतिशत तक हिस्सेदारी करने की छूट के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। विपक्ष के साथ साथ सत्तारूढ गठबंधन-संप्रग में शामिल तृणमूल कांग्रेस तथा द्रमुक और बाहर से सहयोग देने वाले दलों के विरोध के आगे इस पर अमल रोकना पड़ा। मुखर्जी ने अर्थव्यवस्था की स्थिति के बारे में उद्योग जगत का विश्वास बढ़ाते हुए कहा कि इस वर्ष आर्थिक वृद्धि दर पिछले वित्त वर्ष के 8.5 प्रतिशत से कम जरूर है। पर मौजूदा हालात में 7.5 प्रतिशत की वृद्धि भी कम नहीं है। उन्होंने उद्योगपतियों ने 80 और 90 के दशक पर गौर करने को कहा जबकि औसत दशकीय वृद्धि 5 तथा 5.6 प्रतिशत थी।
उल्लेखनीय है कि वैश्विक आर्थिक संकट और घरेलू स्तर पर उंची मुद्रास्फीति के बीच सरकार ने चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि के अपने अनुमान को घटा कर 7.5 प्रतिशत कर दिया है जबकि फरवरी में इसके नौ प्रतिशत तक रहने का अनुमान लगाया गया था। अक्तूबर में औद्योगिक वृद्धि में 5.1 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई थी।
(एजेंसी)
First Published: Friday, December 23, 2011, 15:00