Last Updated: Friday, August 17, 2012, 14:14

नई दिल्ली : प्रधानमंत्री की आर्थिक सलाहकार परिषद (पीएमईएसी) ने मौजूदा वित्त वर्ष में सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। यह अनुमान अन्य शोध संस्थानों के अनुमानों से काफी अच्छा है और अर्थव्यवस्था की बेहतर तस्वीर पेश करता है।
परिषद ने हालांकि यह भी कहा है कि मौजूदा वित्त वर्ष 2012-13 में मुद्रास्फीति 6.5-7 प्रतिशत रहेगी क्योंकि मानसून की बारिश पर्याप्त नहीं हुई। कम बारिश का असर कृषि क्षेत्र पर भी पड़ेगा जिसकी वृद्धि दर घटकर 0.5 प्रतिशत रहने का अनुमान है जो पिछले साल 2.8 प्रतिशत थी।
परिषद के चेयरमैन सी रंगराजन ने ‘आर्थिक परिदृश्य- 2012-13’ जारी करते हुए यह जानकारी दी। उन्होंने कहा, ‘2012-13 में आर्थिक वृद्धि दर 6.7 प्रतिशत रहेगी।’ रंगराजन ने इससे पहले यह रपट प्रधानमंत्री को सौंपी। सुधारों की जोरदार वकालत करते हुए रंगराजन ने सरकार से बहु ब्रांड खुदरा कारोबार को विदेशी निवेश के लिए खोलने की सलाह दी है। इसके साथ ही सब्सिडी बिल पर नियंत्रण के लिए डीजल की कीमत एकमुश्त या कई किस्तों में बढ़ाने की सलाह दी गई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। उल्लेखनीय है कि 2011-12 में आर्थिक वृद्धि दर घटकर 6.5 प्रतिशत रही जो नौ साल का निचला स्तर है। क्रिसिल तथा मूडीज जैसी संस्थाओं द्वारा मौजूदा वित्त वर्ष में वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रहने के अनुमानों के बावजूद रंगराजन ने वृद्धि दर को लेकर आशावादिता दिखाई है। उन्होंने सुझाया कि बहु ब्रांड खुदरा क्षेत्र में विदेशी निवेश (एफडीआई) तथा ढांचागत क्षेत्र में निवेश बढाने से आर्थिक वृद्धि दर को बल मिलेगा।
रंगराजन ने कहा, `पूंजी तथा प्रौद्योगिकी के स्थानांतरण को सही राह देने के लिए बहु ब्रांड खुदरा कारोबार में 49 प्रतिशत तक एफडीआई को मंजूरी दी जा सकती है ताकि इस क्षेत्र में निवेश को आकषिर्त किया जा सके।` उन्होंने विमानन क्षेत्र में सुधारों की वकालत भी की और कहा कि सरकार को विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू विमानन कंपनियों में 49 प्रतिशत तक एफडीआई की अनुमति देने पर विचार करना चाहिए।
इसके अलावा उन्होंने 5,000 करोड़ रुपये से अधिक लागत वाली बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की शीघ्र मंजूरी के लिए विशेष प्रयास करने को कहा। तेल क्षेत्र के बारे में रंगराजन ने कहा कि डीजल की कीमत में उचित वृद्धि एक या अधिक बार में की जा सकती है। इसके अलावा सब्सिडीशुदा रसोई गैस (एलपीजी) सिलेंडरों की अधिकतम खपत को तय करना होगा। उन्होंने कहा कि इससे पेट्रोलियम सब्सिडी पर काबू पाने में मदद मिलेगी। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 17, 2012, 14:14