Last Updated: Friday, May 25, 2012, 23:48
चेन्नई : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (ईपीएफओ) ने अपने 5 करोड़ अंशधारकों के लिए 1,000 रुपये की न्यूनतम मासिक पेंशन तय करने के प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया है। इस अतिरिक्त बोझ की भागीदारी को लेकर न्यासियांे के बीच मतभेद की वजह से यह फैसला टाला गया है।
श्रम मंत्री मल्लिकाजरुन खड़गे ने आज यहां संवाददाताओं से कहा कि हमारे बीच इस पर चर्चा हुई और हम कुछ प्रस्ताव पर काम कर रहे है। इसके बाद इसे सरकार के पास भेजा जाएगा। बैठक में मौजूद यूनियनों के नेताओं ने ईपीएफओ के इस प्रस्ताव का विरोध किया कि इस अतिरिक्त बोझ को पेंशन के लिए सेवानिवृत्ति की आयु 58 से बढ़ाकर 60 साल कर या 20 साल की पेंशन योग्य सेवा के बाद मिलने वाले दो साल के बोनस को खत्म कर झेला जाए।
ईपीएफओ का कहना है कि इन दोनों विकल्पों में से किसी एक से भी 1,000 रुपये की न्यूनतम मासिक पेंशन तय की जा सकती है और इससे न तो नियोक्ताओं, कर्मचारियों और न ही सरकार पर कोई बोझ पड़ेगा। खड़गे ने कहा कि हमने नियोक्ताओं, कर्मचारियों और सरकार से आग्रह किया है कि वे तीनों मिलकर कुछ राशि का योगदान करें। इससे समस्या हल हो जाएगी।
श्रम मंत्री ने इस बात को स्वीकार किया कि इस प्रस्ताव में विलंब हो रहा है। उन्होंने कहा कि वह इस मुद्दे को वित्त मंत्री के समक्ष उठाएंगे, जिससे ईपीएफओ के अंशधारकों को 1,000 रुपये की मासिक पेंशन सुनिश्चित हो सके।(एजेंसी)
First Published: Friday, May 25, 2012, 23:48