Last Updated: Thursday, November 8, 2012, 13:15

ज़ी न्यूज ब्यूरो
नई दिल्ली : केंद्रीय मंत्रिमंडल ने गुरुवार को सभी मौजूदा दूरसंचार आपरेटरों पर एकमुश्त स्पेक्ट्रम शुल्क को मंजूरी दे दी। सूत्रों ने बताया कि प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में अधिकारप्राप्त मंत्री समूह के इस सुझाव को स्वीकार कर लिया कि सभी मौजूदा मोबाइल कंपनियों को एकमुश्त शुल्क अदा करना चाहिए।
2जी स्पेकट्रम की एकमुश्त फीस को कैबिनेट ने आज मंजूरी दे दी। जिसके बाद इस बात की पूरी संभावना है कि कॉल करना अब महंगा हो सकता है। ऐसे में टेलीकॉम कंपनियां कॉल दरें बढ़ा सकती हैं।
जानकारी के अनुसार, कैबिनेट के इस फैसले से टेलीकॉम कंपनियों पर 31000 करोड़ रुपये का बोझ पड़ेगा। दूरसंचार मंत्री के अनुसार, मौजूदा दूरसंचार आपरेटरों पर एकबारगी स्पेक्ट्रम शुल्क से सरकार को 31,000 करोड़ रुपये का राजस्व मिलने की उम्मीद है।
अधिकार प्राप्त मंत्री समूह ने जीएसएम सेवा देने वाली कंपनियों को 4.4 मेगाहट्र्ज से अधिक वाले 2जी स्पेक्ट्रम के लिए भुगतान का प्रस्ताव किया है जबकि सीडीएमए कंपनियों को 2.5 मेगाहट्र्ज से अधिक के स्पेक्ट्रम के लिए लाइसेंस की शेष अवधि के लिए भुगतान करना होगा।
मंत्रिसमूह ने प्रस्ताव किया था कि 12 नवंबर से शुरू होने वाली नीलामी में स्पेक्ट्रम की बिक्री जिस मूल्य पर की जानी है इस मूल्य को उससे जोड़ा जाए। सूत्रों ने बताया कि मंत्रिमंडल ने जीएसएम कंपनियों के लिए स्पेक्ट्रम बिक्री मूल्य को शुल्क के तौर पर लेने के प्रस्ताव को मंजूरी दी जबकि सीडीएमए कंपनियों के लिए दूरसंचार विभाग बाद में एक तय पैमाना लेकर आएगा।
ऐसा इसलिए है कि कोई भी कंपनी सीडीएमए स्पेक्ट्रम खरीदने की दौड़ में नहीं है इसलिए इस बैंड के स्पेक्ट्रम की कीमत का अंदाजा नीलामी में नहीं लगाया जा सकता। दूरसंचार विभाग ने इससे पहले अनुमान लगाया था कि शुल्क से सरकारी खजाने में 30,927 करोड़ रुपए आएंगे। लेकिन सीडाएमए परिचालकों पर कितना शुल्क लगाया जाएगा यह साफ नहीं है इसलिए सरकारी खजाने में कितनी राशि आएगी इसका तुरंत अंदाजा नहीं लगाया जा सकता।
First Published: Thursday, November 8, 2012, 13:02