Last Updated: Tuesday, April 16, 2013, 15:24
वाशिंगटन : अमेरिका में आव्रजकों के संबंध में प्रस्तावित नए कानून में वाषिर्क एच1बी वीजा की संख्या तो बढायी जा सकती है पर इसके साथ कुछ ऐसी शर्तें होगी कि उनसे भारतीयों की अमेरिकी कंपनियों के लिए मौजूदा स्वरूप में काम करना मुश्किल हो जाएगा।
इस व्यापक प्रभाव वाले विधेयक का मसौदा आज जारी किया जा सकता है। उसके बाद इसे अमेरिकी संसद में मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। कहा जा रहा है कि यदि ये शर्तें लागू हो गयी तो यह भारतीय मूल की अमेरिकी कंपनियों के लिए मौत का पैगाम होगा।
अमेरिका के दोनों प्रमुख पार्टियों के आठ सांसदों की महीनों तक चली बंद कमरे की बैठकों के बाद इस विधेयक को आगे बढ़ाया जा रहा है। इन बैठकों का लक्ष्य विपक्षी रिपब्लिकन व सत्तारूढ डेमोक्रैट दोनों दलों की दृष्टि से प्रस्तावों को संतुलित बनाना था। इसमें अमेरिका में गैर कानूनी तरीके से रह रहे लोगों को नागरिकता देने का महत्वपूर्ण प्रावधान भी शामिल है।
उल्लेखनीय है कि भारत में बड़ी तादाद में सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र से जुड़े पेशेवर हैं। विश्लेषकों का कहना है कि एच-1बी वीजा की संख्या बढने पर ऐसे पेशेवरों के लिए अमेरिका में नौकरी का मौका बढेगा।
इस समय अधिकतर भारतीय पेशेवरों को वहां भारतीय-अमेरिकी कंपनियों द्वारा बुलाया जाता है। पर नए कानून के बाद हालात बदल जाएंगे और इसका सबसे अधिक फायदा अमेरिकी कंपनियों को होगा तथा आईटीसी , विप्रो और इन्फोसिस के लिए उनकों नौकरी पर लेने में कठिनाई बढ जाएगी।
समाचार वेबसाइट ‘पोलिटिको’ के मुताबिक आठो सांसदों में एच1बी वीजा का वाषिर्क कोटा 65,000 से बढ़ाकर 1,10,000 करने का प्रावधान होगा तथा उच्च कौशल वाली नौकरियों की जरूरत पर इसे बढ़ाकर 1,80,000 किया जा सकता है।
इसमें यह भी प्रस्ताव होगा कि जिन कंपनियों के 30 फीसद या इससे अधिक कर्मचारी एच1बी वीजा वाले हैं, उन्हें एक नया शुल्क देना होगा।
उल्लेखनीय है कि अमेरिकी और भारतीय कंपनियों के साझा मंच (यूएसआईबीसी) ने सांसदों को लिखे पत्र में ऐसे किसी प्रावधान का विरोध किया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, April 16, 2013, 15:24