Last Updated: Thursday, December 20, 2012, 15:59

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी एनएमडीसी को वर्ष 2007 से लेकर 2010 के बीच बाजार मूल्यों के अनुरूप लौह अयस्क के दाम संशोधित नहीं करने से 745.94 करोड़ रुपए का नुकसान झेलना पड़ा।
भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (कैग) की राज्यसभा में पेश रिपोर्ट में यह खुलासा किया गया है। इसमें कहा गया है, ‘बाजार मूल्यों के अनुरूप कंपनी द्वारा दाम तय नहीं करने से उसे वर्ष 2007 से 2010 के बीच कुल 754.94 करोड़ रुपए का नुकसान हुआ।’ नेशनल मिनरल डेवलपमेंट कॉर्पोरेशन (एनएमडीसी) के कामकाज की लेखा परीक्षा करते हुए कैग ने कहा कि कंपनी ने लौह अयस्क का दाम अनावश्यक रूप से कम रखकर अपने ग्राहकों को 2010-11 के दौरान 600.83 करोड़ रुपए का लाभ कमवाया। इसके अलावा कंपनी ने निर्यात मूल्य के अनुरूप पूरी तरह दाम नहीं बढ़ाने से भी इस दौरान 227.40 करोड़ रुपए का नुकसान उठाया।
लौह अयस्क का निर्यात करने वाले इस सार्वजनिक उपक्रम ने जापान की इस्पात निर्माता कंपनी के साथ दीर्घकालिक समझौता किया। जिस भाव पर समझौता किया जापानी कंपनी उसी भाव पर ऑस्ट्रेलिया और ब्राजील के निर्यातकों से भी कच्चा माल खरीदती है। कैग ने कहा है कि निर्यात बाजार में होने वाले दीर्घकालिक समझौते ही घरेलू ग्राहकों के साथ दीर्घकालिक खरीद समझौते का आधार बनते हैं।
लेखा परीक्षक के अनुसार वर्ष 2005 से 2012 के बीच एनएमडीसी के कुल बिक्री कारोबार में 95 प्रतिशत कमाई ऐसे दीर्घकालिक समझौतों से ही हुई जबकि शेष कमाई त्वरित बिक्री से प्राप्त हुई। दीर्घकालिक समझौतों में भी 84 प्रतिशत बिक्री घरेलू ग्राहकों को की गई। (एजेंसी)
First Published: Thursday, December 20, 2012, 15:59