Last Updated: Friday, March 29, 2013, 20:45

नई दिल्ली : सार्वजनिक क्षेत्र की संकटग्रस्त विमानन कंपनी एयर इंडिया को सरकार द्वारा गठित एक समिति ने बजट एयरलाइंस माडल से सबक लेने की सलाह दी है। समिति ने सुझाव दिया है कि एयर इंडिया को अपनी बचत बढ़ाने तथा खर्चे में कटौती के लिए इस तरह के माडल से सीखना चाहिए।
एयर इंडिया के कर्मचारियों की संख्या 26,000 है। धर्माधिकारी समिति एयर इंडिया कर्मचारियों के वेतनमान तथा भत्तों को अंतिम रूप दे रही है।
इस बीच भारतीय प्रबंधन संस्थान-अहमदाबाद के प्रोफेसर रविंद्र एच ढोलकिया की अगुवाई वाली एक समिति ने एयरलाइन को अपने श्रमबल को तर्कसंगत बनाने के लिए तकनीकी क्षमता आडिट कराने का सुझाव दिया है। इस समिति ने अपनी रपट कर दी।
आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि इस आडिट से यह तय हो सकेगा कि क्या कर्मचारियों के लिए स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) पेश की जाए अथवा कर्मचारियों को ईधर-उधर किया जाए या फिर कर्मचारियों की संख्या में कटौती की जाए। ढोलकिया समिति का गठन जनवरी में किया गया था।
समिति को वैश्विक स्तर पर अपनाए गए तरीकों के हिसाब से एयर इंडिया को अपनी बचत बढ़ाने तथा खर्चे में कटौती पर सुझाव देने थे। समिति को एयरलाइन को उसकी प्रतिदिन के 14 करोड़ रुपए के परिचालन नुकसान को कम करने के उपाय भी सुझाने थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट कल नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह को सौंपी।
सूत्रों ने बताया कि समिति ने कुल 46 सिफारिशें की हैं। इनमें एक सुझाव यह है कि एयर इंडिया सरकार से 10,000 करोड़ रुपए के कर मुक्त बांड जारी करने की अनुमति ले जिससे उसे अपने ऊंचे लागत के ऋण के बोझ को कम कर सके।
सूत्रों ने कहा कि समिति ने आर्थिक दृष्टि से अव्यावहारिक मार्गों पर उड़ानें समाप्त करने का सुझाव दिया है। इस उपाय से कंपनी को सालाना 600 करोड़ रुपए की बचत होगी। इसके अलावा ईंधन दक्षता से भी कंपनी सालाना 400 करोड़ रुपये तक बचा सकती है।
सूत्रों ने कहा कि यात्री एजेंटों से टिकट खरीदते हैं। एयरलाइन को उनको एक प्रतिशत कमीशन देना पड़ता है। ढोलकिया समिति ने सुझाव दिया है कि एयर इंडिया शून्य कमीशन को अपनाए। वैश्विक स्तर पर भी इसी तरह की व्यवस्था चलन में है। एजेंट इसके एवज में सेवा शुल्क ले सकते हैं। (एजेंसी)
First Published: Friday, March 29, 2013, 20:45