Last Updated: Friday, May 11, 2012, 08:46
नई दिल्ली : अर्थव्यवस्था में नरमी का संकेत देते हुए औद्येागिक उत्पादन मार्च 2012 में शून्य से 3.5 फीसद नीचे लुढ़क गया। ऐसा मुख्य तौर पर विनिर्माण और पूंजीगत उत्पादों का उत्पादन शून्य से नीचे गिर जाने के कारण हुआ। आद्योगिक उत्पादन की वृद्धि औद्योगिक उत्पादन सूचकांक के जरिए आंकी जाती है और यह पिछले साल मार्च में इसमें 9.4 फीसद की वृद्धि दर्ज की गयी थी।
यहां शुक्रवार को जारी सरकारी आंकड़े के मुताबिक वित्त वर्ष 2011-12 में औद्योगिक उत्पादन की वृद्धि दर 2.8 फीसद के निराशाजनक स्तर पर रही जो पिछले साल 8.2 फीसद थी। इस दौरान खनन क्षेत्र की वृद्धि दर शून्य से नीचे दो फीसद रही और विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर 2.9 फीसदी रही। सूचकांक में 75 फीसद योगदान करने वाले क्षेत्र विनिर्माण क्षेत्र की वृद्धि दर मार्च में शून्य से नीचे 4.4 फीसद रही जबकि मार्च 2011 में 11 फीसद की वृद्धि दर्ज की थी।
खनन उत्पादन भी 1.3 फीसद गिरा जबकि पिछले साल की समान अवधि में 0.4 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई थी। पूंजीगत उत्पाद की वृद्धि दर शून्य से 21.3 फीसद नीचे रही जबकि पिछले साल की समान अवधि में 14.5 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई थी। उपभोक्ता उत्पादन के उत्पादन की वृद्धि दर भी मार्च में महज 0.7 फीसद रही जबकि पिछले साल की समान अवधि में 13.2 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई थी।
इसके अलावा उपभोक्ता टिकाउ उत्पाद खंड में मार्च के दौरान 0.2 फीसद की वृद्धि हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि के दौरान 14.9 फीसद की जोरदार वृद्धि दर्ज हुई थी। बिजली उत्पादन में मार्च के दौरान 2.7 फीसद वृद्धि दर्ज हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में 7.2 फीसद की वृद्धि हुई। जहां तक उद्योग का सवाल है तो विनिर्माण क्षेत्र के 22 औद्योगिक समूह में से 10 उद्योग समूह ने मार्च के दौरान पिछले साल की समान अवधि के मुकाबले सकारात्मक वृद्धि दर्ज की है।
मूलभूत वस्तुओं के उत्पादन की वृद्धि दर मार्च में 1.1 फीसदी बढ़ी जबकि पिछले साल की समान अवधि में 6.4 फीसदी थी। हालांकि मध्यवर्ती उत्पादों की वृद्धि दर शून्य से 2.1 फीसदी घटी जबकि पिछले साल मार्च में तीन फीसदी की वृद्धि दर्ज हुई थी।
उपभोक्ता गैर-टिकाउ उत्पादों के उत्पादन में मार्च के दौरान मात्र एक फीसद की वृद्धि दर्ज हुई जबकि पिछले साल की समान अवधि में 11.9 की वृद्धि दर्ज हुई थी। वित्त वर्ष 2011-12 के दौरान पूंजीगत उत्पाद खंड की वृद्धि दर 4.1 फीसद घटी जबकि 2010-11 में इस खंड में 14.8 फीसद की जोरदार वृद्धि दर्ज हुई थी। इसके अलावा मध्यवर्ती उत्पादों की वृद्धि दर भी शून्य से एक फीसद कम रही जबकि पिछले वित्त वर्ष के दौरान इसमें 7.4 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई।
पिछले पूरे वित्त वर्ष के दौरान उपभोक्ता वस्तु क्षेत्र में वृद्धि दर घटकर 4.4 फीसदी हो गई जबकि 2010-11 में 8.5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई थी। उपभोक्ता टिकाउ उत्पादों की उत्पादन वृद्धि दर 2011-12 में घटकर 2.5 फीसद हो गई जबकि 2010-11 में वृद्धि दर 14.2 फीसद थी। हालांकि गैर-टिकाउ उपभोक्ता उत्पादों के उत्पादन में 2011-12 के दौरान 5.9 फीसद की वृद्धि दर दर्ज हुई जबकि 2010-11 में यह 4.2 फीसद थी। पिछले वित्त वर्ष में बिजली उत्पादन में स्थिति ठीक रही और इसमें समीक्षाधीन अवधि में 8.2 फीसद की वृद्धि दर्ज हुई जो 2010-11 में यह 5.5 फीसद थी।
उधर, वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने औद्योगिक वृद्धि दर के आंकड़ों पर निराशा जताई और कहा कि पश्चिमी देशों में मंदी तथा घरेलू अर्थव्यवस्था में नरमी इसके लिए जिम्मेदार है। उन्होंने यह भी कहा कि रिजर्व बैंक की नरम मौद्रिक नीति का ब्याज की लागत पर असर होने में कुछ समय लगेगा।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, May 12, 2012, 11:37