`कर चोरों से सख्ती से निपटेगी सरकार`

`कर चोरों से सख्ती से निपटेगी सरकार`

नई दिल्ली : सरकार ने उत्पाद, सीमा शुल्क और सेवा कर का भुगतान नहीं करने वालों को कड़ी चेतावनी देते हुये आज कहा कि वह करों का भुगतान करें नहीं तो उनके खिलाफ गिरफ्तारी, अभियोजन चलाने अथवा संपत्ति की कुर्की सहित दंदात्मक कारवाई की जायेगी।

राजस्व सचिव सुमित बोस ने यहां संवाददाताओं से कहा ‘‘कर का भुगतान नहीं करने वालों पर हमारी नजर है। उन्हें हमारी सलाह है कि वह आगे आकर सभी करों का भुगतान करें और कम जुर्माने की सुविधा का लाभ उठायें, अन्यथा सरकार उनके खिलाफ कड़ी दंडात्मक कारवाई करेगी।’’ उन्होंने चेतावनी देते हुये कहा कि उत्पाद शुल्क का भुगतान नहीं करने वालों को खामियाजा भुगताने के लिये तैयार रहना चाहिये। उन्होंने कहा ‘‘उनकी संपत्ति की कुर्की हो सकती है, गिरफ्तारी और मुकद्दमा चलाया जा सकता है, सेनवैट क्रेडिट निलंबित हो सकता है या फिर उन्हें शत प्रतिशत जुर्माना और ब्याज का भुगतान करना होगा।’’ सरकार की यह पहल ऐसे हालात में हो रही है जब अप्रत्यक्ष कर वसूली में हल्की वृद्धि हुई है और राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.3 प्रतिशत के दायरे में रखने के लक्ष्य को बनाये रखने का दबाव है।

राजस्व सचिव ने सभी कर निर्धारकों से कहा है कि इस बात का ध्यान रखें कि सीमा शुल्क, उत्पाद शुल्क और सेवा कर का सही समय पर उचित भुगतान करें ताकि व्यापार बढ़ाने के लिये सुविधाओं को और बेहतर बनाया जा सके।

उन्होंने कहा कि ‘‘यह देखा गया है कि केन्द्रीय उत्पाद शुल्क निर्धारक सामान को चोरी छिपे हटा लेते हैं, कानून का पालन नहीं करते हुये कई बार बिना पंजीकरण के ही ऐसा करते हैं, सेनवैट क्रेडिट दुरुपयोग करते हैं और उत्पाद शुल्क भुगतान नहीं किया जाता है।

बोस ने कहा कि सेवाकर अपवंचना भी हो रही है। ऐसा देखा गया है कि जिन सेवाकर दाताओं ने पंजीकरण कराया है उनमें से आधे से ज्यादा रिटर्न दाखिल नहीं कर रहे हैं जबकि कई सेवाकर दाता जो कि सेवाकर का भुगतान कर रहे थे उन्होंने अभी तक अपना पंजीकरण नहीं कराया।

बोस ने कहा कि विभाग के पास यह सूचना भी है कि कई सेवा प्रदाता सेवा पाने वाले से तो सेवाकर वसूल रहे हैं लेकिन उसे सरकार के पास जमा नहीं करा रहे हैं। ‘‘ऐसे सेवा प्रदाताओं को हम चेतावनी देना चाहते हैं कि उन्हें न केवल इस तरह के सेवाकर का भुगतान ब्याज और जुर्माने के साथ करना होगा बल्कि यह कर चोरी के समान होगा और ऐसे में उनके खिलाफ दंडात्मक कारवाई की जा सकती है। इस दौरान तीसरे पक्ष से उनकी देनदारी को भी सरकार हथिया लेगी।’’ एक जुलाई 2012 से नकारात्मक सूची में शामिल सेवाओं को छोड़कर अन्य सभी सेवायें सेवाकर के दायरे में आ गई हैं।

सीमा शुल्क के मामले में भी उन्होंने इस तरह की चेतावनी देते हुये कहा कि कुछ आयातक और निर्यातक सामान का मूल्य बढ़ाचढ़ाकर बोलते हैं। आयात का मूल्य कम बताया जाता है जबकि निर्यात का मूल्य बढ़ाकर बताया जाता है। सामान की गलत जानकारी दी जाती है और सीमा शुल्क से बचने के लिये विभिन्न रियायतों का दुरुपयोग किया जाता है।

बोस ने कहा कि सीमा शुल्क विभाग 70 प्रतिशत माल को निर्यातकों के उनके खुद के आकलन पर ही मंजूरी देता है। ऐसे में आयातकों और निर्यातकों का कर्तव्य बनता है कि वह अपनी देनदारियों का उचित तरीके निर्वहन करें।

चालू वित्त वर्ष में अप्रैल से नवंबर के दौरान अप्रत्यक्ष कर वसूली एक साल पहले इसी अवधि की तुलना में 16.8 प्रतिशत की दर से बढ़कर 2.92 लाख करोड़ रुपये तक पहुंची है। इसमें सालाना 27 प्रतिशत वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। वित्त वर्ष के दौरान सरकार ने सीमाशुल्क, उत्पाद और सेवाकर से कुल 5.05 लाख करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, January 2, 2013, 16:52

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