किंगफिशर एयरलाइंस की संचालन शुरू करने की योजना

किंगफिशर एयरलाइंस की संचालन शुरू करने की योजना

किंगफिशर एयरलाइंस की संचालन शुरू करने की योजना  नई दिल्ली: वित्तीय संकट से घिरी कम्पनी किंगफिशर एयरलाइंस ने बुधवार को फिर उड्डयन नियामक को उड़ानों का संचालन शुरू करने की योजना पेश की। किंगफिशर एयरलाइंस के मुख्य कार्यकारी अधिकारी संजय अग्रवाल ने यहां नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) के प्रमुख अरुण मिश्र से मुलाकात के बाद संवाददाताओं से कहा कि हमने सम्पूर्ण योजना पेश की है। हमने डीजीसीए से हमारे लाइसेंस (शिड्यूल्ड ऑपरेटर्स परमिट) को फिर से बहाल करने का अनुरोध किया है।"

डीजीसीए ने पिछले वर्ष 20 अक्टूबर को सुरक्षा कारणों से कम्पनी का लाइसेंस निलम्बित कर दिया था।

अग्रवाल ने कहा, "योजना में समय सारणी शामिल है, जिसके तहत हम उड़ानों का संचालन करना चाहते हैं, विमान शामिल हैं, जिनकी उड़ानों का हम संचालन करना चाहते हैं और उसमें बताया गया है कि हमारे पास कितने कर्मचारी हैं। पूरी योजना बताई गई है।"

अग्रवाल के मुताबिक शुरू में सात विमानों के साथ संचालन शुरू करने की योजना है और शुरुआती पूंजी पैतृक कम्पनी यूबी समूह से आएगी। उन्होंने कहा, "हम पांच एयरबस और दो एटीआर के साथ संचालन शुरू करना चाहते हैं।"

650 करोड़ रुपये के अनुमानित फंडिंग के साथ संचालन शुरू करने की योजना है, जिससे वेतन का भुगतान किया जाएगा, विमानों की मरम्मत की जाएगी और इसमें संचालन पूंजी भी शामिल होगी।

कम्पनी ने पिछले वर्ष दिसम्बर में भी संचालन फिर से शुरू करने की योजना पेश की थी। जिसे खारिज कर दिया गया था।

कम्पनी हड़ताल और उसके बाद तालाबंदी के कारण एक अक्टूबर 2012 से अब तक उड़ानों का संचालन नहीं कर पाई है। विमानन कम्पनी के लाइसेंस की वैधता 31 दिसम्बर 2012 को समाप्त हो चुकी है। कम्पनी के पास दो सालों के भीतर इसका नवीकरण कराने की सुविधा है।

कम्पनी पर बैंकों के समूह का 7000 करोड़ रुपये का कर्ज है। समूह अपने कर्ज की वापसी के लिए कम्पनी की परिसम्पत्तियों की नीलामी पर विचार कर रहा है।

कम्पनी विदेशी निवेशक को भी रिझाने में लगी हुई है और 49 फीसदी विदेशी हिस्सेदारी की सीमा में से 46 फीसदी को बिक्री के लिए निर्धारित कर चुकी है। कथित तौर पर कम्पनी मध्यपूर्व की विमानन कम्पनियों से बात कर रही है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, April 10, 2013, 20:34

comments powered by Disqus