Last Updated: Wednesday, January 11, 2012, 14:43

नई दिल्ली : नागर विमानन मंत्री अजित सिंह ने बुधवार को आर्थिक संकट से जूझ रही निजी क्षेत्र की उड़ान सेवा प्रदाता कम्पनी किंगफिशर को किसी भी तरह की सहायता देने से इनकार करते हुए कहा कि सरकारी कम्पनी एयर इंडिया को पुनर्गठित करने की जरूरत है।
सिंह ने यहां संवाददाताओं से कहा, यह एक निजी कम्पनी है और बैंक तभी ऋण दे सकते हैं जब वे कम्पनी की व्यापार योजना से संतुष्ट हों। किंगफिशर को सरकार की तरफ से वित्तीय सहायता दिए जाने के बारे में पूछे जाने पर सिंह ने यह बात कही।
दरअसल, किंगफिशर के मालिक शराब व्यावसायी विजय माल्या ने सिंह को पत्र लिखकर कहा था कि अगर उसे शीघ्र कोष उपलब्ध नहीं करवाया जाता है तो एयरलाइंस वर्तमान स्तर पर संचालन जारी रखने में असमर्थ हो जाएगी।
सिंह ने कहा, ऐसे में उन्हें अपनी व्यापार योजना बतानी चाहिए और यदि बैंकों को लगेगा कि वे धन वापस प्राप्त कर लेंगे और मुनाफा कमाएंगे तो वे उन्हें ऋण देंगे अन्यथा ऐसा नहीं करेंगे।
सिंह से जब खस्ताहाल में चल रही एयर इंडिया के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि सरकारी कम्पनी होने के कारण सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उसे बनाए रखे।
उन्होंने कहा, एयर इंडिया एक सार्वजनिक उपक्रम है, ऐसे में सरकारी की एक जिम्मेदारी है। लेकिन साथ ही एयर इंडिया को प्रतियोगी भी होना होगा। उसे इस उद्योग के अनुसार खर्चो में भी कटौती करनी होगी। सरकार हमेशा इसमें धन नहीं लगाती रहेगी।
वर्तमान में एयर इंडिया पर कुल 43,777 करोड़ रुपये की देनदारियां हैं। वित्तीय सलाहकार कम्पनी भारतीय स्टेट बैंक कैप्स और डिलॉइट इसके लिए एक वित्तीय पुनर्गठन योजना बना रही है।
सिंह ने कहा, एसबीआई कैप्स की योजना एक अड़चन है लेकिन मैं समझता हूं कि इसका समाधान ढूंढ़ लिया जाएगा। (एजेंसी)
First Published: Thursday, January 12, 2012, 09:43