Last Updated: Sunday, July 21, 2013, 22:43
नई दिल्ली : खाद्य सुरक्षा विधेयक लागू करने से अर्थव्यवस्था पर वित्तीय दबाव बढ़ेगा और मौजूदा कारोबारी साल में वित्तीय घाटा बढ़कर सकल घरेलू उत्पाद के पांच फीसदी तक पहुंच जाएगा। यह बात रविवार को यहां उद्योग समूह फेडरेशन ऑफ इंडियन चैम्बर्स ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री (फिक्की) ने कही।
फिक्की ने आर्थिक परिदृश्य सर्वेक्षण में कहा, `इससे वित्तीय स्थिति पर अतिरिक्त दबाव बनेगा और देश की वित्तीय स्थिरता योजना को हासिल करना कठिन हो जाएगा। परिणामस्वरूप 2013-14 के लिए जीडीपी के मुकाबले वित्तीय घाटा पांच फीसदी रहने का अनुमान है, जो 4.8 फीसदी के बजटीय अनुमान से अधिक है।`
सर्वेक्षण में शामिल किए गए लोगों ने कहा कि जन वितरण प्रणाली के जरिए खाद्य सामग्री के आवंटन की प्रणाली अक्षमता की शिकार है और आवंटन प्रणाली की क्षमता बढ़ाने की जरूरत है। इस माह के शुरू में सरकार ने खाद्य सुरक्षा विधेयक को लागू करने के लिए एक अध्यादेश की घोषणा की, जिसमें दो-तिहाई आबादी को हर माह एक से तीन रुपये प्रति किलो की दर से पांच किलोग्राम अनाज देने की व्यवस्था है।
इस योजना पर सालाना 1,25,000 करोड़ रुपये खर्च होने का सरकारी अनुमान है। सर्वेक्षण में अर्थशास्त्रियों ने कहा कि मौजूदा कारोबारी वर्ष में विकास दर करीब छह फीसदी रह सकती है। साथ ही यह कहा गया कि पहली तिमाही में विकास दर पांच फीसदी रह सकती है। सर्वेक्षण में भारतीय रिजर्व बैंक को आर्थिक तेजी में सहायता देने के लिए मुख्य नीतिगत दरों में इस साल के आखिर तक 50 से 75 आधार अंकों की कटौती का सुझाव दिया गया। (एजेंसी)
First Published: Sunday, July 21, 2013, 22:43