Last Updated: Friday, July 6, 2012, 17:36

नई दिल्ली : योजना आयोग ने 12वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के अंत तक देश में गरीब आबादी का अनुपात 30 प्रतिशत से घटाकर 20 प्रतिशत से नीचे लाने का लक्ष्य रखने का प्रस्ताव किया है। आयोग ने 11वीं पंचवर्षीय योजना (2007-12) के लिए भी इसी तरह का लक्ष्य रखा था। वह इस योजना के लिए भी इस लक्ष्य को बनाए रखने के पक्ष में है।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने यहां एक सम्मेलन में संवाददाताओं के साथ बातचीत में कहा, ‘पिछली बार (11वीं योजना) हमने गरीबी के अनुपात को 10 प्रतिशत नीचे लाने की बात कही थी। मुझे लगता है कि (पांच साल में गरीबी के अनुपात में) 10 प्रतिशत की कमी करने का लक्ष्य बहुत अच्छा लक्ष्य है। जिसका मतलब होगा 12वीं योजनावधि में हर साल गरीबी में दो प्रतिशत की गिरावट।’
इससे पहले आयोग द्वारा तय गरीबी रेखा की आलोचना हुई थी। आयोग ने शहर में 28.65 रुपए प्रति व्यक्ति आय और ग्रामीण इलाकों में 22.42 रुपए प्रति व्यक्ति आय को गरीबी रेखा का मानक करार दिया था। तेंदुलकर समिति की पद्धति के आधार पर आयोग ने 2009-10 में गरीबी का अनुपात 29.8 प्रतिशत तय किया था जो 2004-05 में 37.2 प्रतिशत था। आंकड़ों के मुताबिक गरीबी के अनुपात में कमी की दर 2004-05 से 2009-10 के बीच सालाना 1.5 प्रतिशत थी जबकि 1993-94 से लेकर 2004-05 के बीच यह 0.7 प्रतिशत थी।
28.65 और 22.42 रुपए के दैनिक खर्च से ऊपर वालों को गरीबी की परिभाषा से निकालने के इस मानदंड की तीखी आलोचना के बाद आयोग ने माना कि एनएसओ और राष्ट्रीय आंकड़ों में कुछ गड़बड़ी थी जिससे गरीबी के मायने के मानदंड के निर्धारण का इस तरह वर्गीकरण किया गया। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 6, 2012, 17:36