Last Updated: Sunday, August 4, 2013, 18:43

नई दिल्ली : नीतिगत मामलों में अपने विचार देने के लिए अशंधारकों के लिए एक पारदर्शी प्रणाली की वकालत करते हुए कंपनी मामलों के मंत्री सचिन पायलट ने कहा है कि लॉबिंग को इस तरीके से परिभाषित करने की जरूरत है जिससे इसे गलत तरीके से नीतिनिर्माताओं को प्रभावित करने से अलग किया जा सके।
पिछले कुछ महीने से कारपोरेट लॉबिंग का मुद्दा चर्चा के केंद्र में है। खुदरा क्षेत्र की वैश्विक कंपनी वॉल-मार्ट ने भारत में प्रवेश के लिए अमेरिकी सांसदों के समक्ष लॉबिंग की थी जिसके बाद से यह मुद्दा विवाद का केंद्र बना हुआ है।
वॉल-मार्ट की लॉबिंग के मामले में संसद के भीतर और काफी बहस हुई थी। और सरकार ने इसकी जांच का आदेश दिया था। एक सदस्यीय जांच समिति ने अपनी रिपोर्ट कंपनी मामलों के मंत्रालय को सौंप दी है और इसे संसद के सोमवार से शुरू हो रहे सत्र में कार्रवाई रिपोर्ट के साथ पेश किया जाएगा।
यह पूछे जाने पर कि क्या सरकार वॉल-मार्ट के मौके का लाभ उठाकर भारत में कारपोरेट लॉबिंग को लेकर स्पष्ट दिशानिर्देश पेश करेगी, पायलट ने कहा, ‘मुझे नहीं पता कि हम इस रिपोर्ट का इस उद्देश्य के लिए इस्तेमाल करेंगे या नहीं। लेकिन निश्चित रूप से हमें चीजों को परिभाषित करने की जरूरत है।’
अमेरिका सहित कई देशों में लॉबिंग की कानूनी अनुमति है। इसके लिए पंजीकृत लॉबिस्ट की जरूरत होती है। संबंधित कंपनियों को अपनी लॉबिंग गतिविधियों तथा उस पर खर्च का खुलासा करना होता है। हालांकि भारत में इस प्रकार के कोई दिशानिर्देश नहीं हैं। (एजेंसी)
First Published: Sunday, August 4, 2013, 18:43