चिदंबरम ने बैंकों से कहा, ग्राहकों को सोने में निवेश से रोकें

चिदंबरम ने बैंकों से कहा, ग्राहकों को सोने में निवेश से रोकें

चिदंबरम ने बैंकों से कहा, ग्राहकों को सोने में निवेश से रोकेंमुंबई : सोने के बढ़ते आयात से सरकार की चिंता बढ़ती जा रही है। वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने बैंकों से कहा है कि वह अपने स्तर पर ग्राहकों को सोने की खरीदारी के प्रति हतोत्साहित करें और उन्हें रोकें। रिजर्व बैंक पहले ही बैंकों को सोने के सिक्के नहीं बेचने की सलाह दे चुका है।

वित्त मंत्री की बैंकों की यह सतर्कतापूर्ण सलाह सरकार द्वारा सोने के आयात पर शुल्क छह से बढ़ाकर आठ प्रतिशत करने के अगले ही दिन आई है। चालू वित्त वर्ष के पहले दो महीनों में सोने का औसत मासिक आयात 152 टन रहा है। इससे सरकार की चिंता बढ़ी है। सोने के बढ़ते आयात से केन्द्र के चालू खाते के घाटे पर दबाव और बढ़ने की आशंका है। महंगाई के मुद्दे पर चिदंबरम ने उम्मीद जताई कि आगामी फसल आने खाद्य मुद्रास्फीति पर दबाव कम होगा। उन्होंने बैंकों से आग्रह किया कि वह रिजर्व बैंक की दरों में कटौती का लाभ छोटे और वाणिज्यिक कर्जदारों तक भी पहुंचाएं।

भारतीय बैंक संघ (आईबीए) की वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए चिदंबरम ने कहा, ‘मेरा मानना है कि रिजर्व बैंक ने बैंकों को सलाह दी है कि वे सोने के सिक्के नहीं बेचें। सोने के प्रति लोगों के उत्साह को कम करने में बैंकों की महत्वपूर्ण भूमिका बनती है। मैं सभी बैंकों से आग्रह करता हूं कि वे अपनी सभी शाखाओं को यह सलाह दें कि वह ग्राहकों को सोने में निवेश अथवा खरीदारी की सलाह नहीं दें।’ चिदंबरम ने कहा कि अप्रैल में 142 टन सोने का आयात हुआ, मई में यह 162 टन रहा। जबकि वर्ष 2012.13 में मासिक औसत आयात 70 टन रहा था। मौजूदा स्थिति वहनीय नहीं है।

चिदंबरम ने सवाल किया, ‘इस तरह कैसे हम चल सकते हैं? इतनी मात्रा में सोने के आयात का हम कैसे भुगतान करेंगे।’ उन्होंने कहा कि सोने के बढ़ते आयात को देखते हुये सरकार और रिजर्व बैंक दोनों के समक्ष कठोर उपाय करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं है। सोने के आयात की निगरानी के लिये रिजर्व बैंक ने कुछ नियमन तय किये हैं। इसके तहत स्वर्णाभूषणों की वास्तविक मांग को पूरा करने के लिये केवल माल के तौर पर इसका आयात किया जा सकेगा। रिजर्व बैंक ने इस मामले में मार्जिन मनी भी बढ़ाकर 100 प्रतिशत कर दी है।

वित्त मंत्री ने उन्होंने उम्मीद जताई कि मुद्रास्फीति में गिरावट आने के साथ साथ दूसरे वित्तीय साधन ज्यादा आकर्षक होंगे और सोने के बजाय कुछ हिस्सा इन वित्तीय साधनों में निवेश होगा। वित्त मंत्री ने बैंकों से मुद्रास्फीति में कमी आने के बाद ब्याज दरों में आने वाली कमी का लाभ कर्ज लेने वालों को देने को कहा। उन्होंने कहा कि 2012 की शुरुआत से रिजर्व बैंक दरों में 1.25 प्रतिशत कमी कर चुका है, जबकि बैंकों ने इस दौरान ब्याज दरों में मात्र 0.30 प्रतिशत कमी की है।

उन्होंने कहा, ‘खाद्य मुद्रास्फीति अभी भी उंची है, लेकिन मुझे उम्मीद है कि आगामी फसलों की कटाई के बाद यह नीचे आ सकती है।’’ अप्रैल में खाद्य मुद्रास्फीति 6.08 प्रतिशत रही जबकि सकल थोक मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति तीन साल के निम्न स्तर तक घटकर 4.89 प्रतिशत रह गई। हालांकि, खुदरा यानी उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति अप्रैल में 9.39 प्रतिशत रही।

पिछले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटे के कम होकर 4.9 प्रतिशत रह जाने के बाद चिदंबरम ने कहा, ‘चालू वित्त वर्ष के दौरान 4.8 प्रतिशत के राजकोषीय घाटे के लक्ष्य को हासिल करना काफी आसान होगा। जो लक्ष्य रखा गया है हम उससे बेहतर कर सकते हैं। निवेश कार्यों में तेजी लाने के लिये हमें काफी कुछ और करने की आवश्यकता है। निवेश समिति ने चार महीनों में जीडीपी के 1.3 प्रतिशत राशि की परियोजनाओं को मंजूरी दी है।’ (एजेंसी)

First Published: Thursday, June 6, 2013, 22:05

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