`जम्मू-कश्मीर में हो रहा है अवैध खनन`

`जम्मू-कश्मीर में हो रहा है अवैध खनन`

जम्मू : नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) ने खनन पट्टे देने के मामले में जम्मू और कश्मीर सरकार के स्तर पर हुई खामियों को उजागर करते हुये कहा है कि जम्मू-कश्मीर सरकार ने उच्चतम न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन कर संरक्षित क्षेत्रों में खनन पट्टे दिये हैं।

कैग की 31 मार्च, 2012 को समाप्त वर्ष के कामकाज पर पेश रिपोर्ट में कहा गया है कि संरक्षित क्षेत्रों में खनन पट्टा दिया जाना ‘अवैध खनन’ करना है। यह राज्य सरकार के भूतत्व और खनन विभाग के पर्यावरण संरक्षण के प्रति लापरवाह रूख को दर्शाता है। रिपोर्ट में कहा गया है कि आडिट में यह तथ्य सामने आया है कि 2007 से 2012 की अवधि के दौरान 13 पट्टाधारकों ने 1,11,613 टन जिप्सम खनिज का उत्खनन किया।

भूतत्व एवं खनन विभाग के संयोजक ने कहा है कि उच्चतम न्यायालय की अधिसूचना से राज्य में जिप्सम का खनन प्रभावित होगा, क्योंकि कश्मीर प्रांत में सभी जिप्सम वाले क्षेत्र वन्य जीव अभयारण्यों के एक किलोमीटर के दायरे में पड़ते हैं।

हालांकि, रिपोर्ट में कहा है कि इस जवाब को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि विभाग द्वारा संरक्षित क्षेत्र में खनन पट्टे का आवंटन तथा खनिजों का उत्खनन उच्चतम न्यायालय के आदेशों का स्पष्ट उल्लंघन है।

उच्चतम न्यायालय ने दिसंबर, 2006 में आदेश दिया था कि राष्ट्रीय उद्यानों और वन्य जीव अभयारण्यों की सीमा के 10 किलोमीटर का क्षेत्र पर्यावरण की दृष्टि से संवेदनशील है और इन क्षेत्रों में खनिजों के उत्खनन की अनुमति नहीं दी जा सकती। (एजेंसी)

First Published: Monday, April 22, 2013, 16:47

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