Last Updated: Wednesday, September 11, 2013, 23:31
नई दिल्ली : प्रसारण क्षेत्र के नियामक ट्राई का मानना है कि टीवी रेटिंग मापने की मौजूदा प्रणाली विश्वसनीय नहीं है, इसलिये सरकार को प्रणाली में जल्द से जल्द सुधार लाना चाहिये अन्यथा वह खुद इसमें हस्तक्षेप कर सकता है। टीवी रेटिंग एजेंसियों के लिये दिशानिर्देशों के बारे में सिफारिशों को जारी करते हुये ट्राई ने इस बारे में पांच साल पहले दी गई सिफारिशों पर कोई प्रगति नहीं किये जाने पर नाराजगी जाहिर की है।
ट्राई ने जो सिफारिशें दी हैं उनमें एक यह भी है कि प्रसारण श्रोतागण अनुसंधान परिषद (बार्क) जैसी उद्योग से जुड़ी संस्था के जरिये उद्योग टीवी रेटिंग का खुद ही नियमन करे। ट्राई यह भी चाहता है कि सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय उसकी सिफारिशों पर प्राथमिकता दिखाते हुये उन्हें दो महीने के भीतर अधिसूचित कर दे।
भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) के चेयरमैन राहुल खुल्लर ने ताजा सिफारिशें जारी करते हुये कहा लोग जानते हैं कि टीवी रेटिंग की मौजूदा प्रणाली विश्वसनीय नहीं है और इसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है, क्योंकि यह पता नहीं चल पाता है कि वास्तव में कौन से कार्यक्रम अधिक लोकप्रिय है। ट्राई ने नये दिशानिर्देशों के मौके पर जारी अपने वक्तव्य में कहा क्रियान्वयन अब काफी महत्वपूर्ण मुद्दा बन चुका है। ऐसे में वह (ट्राई) मूकदर्शक बनकर नहीं रह सकता है और व्यापक जनहित में खुद ही हस्तक्षेप कर सकता है।
यह पूछे जाने पर कि ट्राई क्या हस्तक्षेप कर सकता है? खुल्लर ने कहा, हम काफी कुछ कर सकते हैं। ट्राई द्वारा की गई एक अन्य सिफारिश में कहा गया है कि टीवी रेटिंग एजेंसियों के पास दर्शकों के आंकड़े जुटाने के लिये कम से कम 20 हजार घरों का पैनल होना चाहिये और इस आंकडे के 50 हजार तक पहुंचने के लिये हर साल इसमें दस हजार की वृद्धि होनी चाहिये।
इसमें यह भी कहा गया है कि कोई भी एजेंसी जो कि पात्रता शर्तों को पूरा करते हुये उसे सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के पास रेटिंग कार्य के लिये पंजीकृत होने की अनुमति दी जानी चाहिये। ट्राई ने सुझाव दिया है कि (बार्क को छोड़कर) रेटिंग एजेंसी की न्यूनतम नेटवर्थ 20 करोड़ रुपये होनी चाहिये। टीवी रेटिंग कंपनी के निदेशक मंडल का कोई भी सदस्य प्रसारण और विज्ञापन के कारोबार में नहीं होना चाहिये। (एजेंसी)
First Published: Wednesday, September 11, 2013, 23:31