Last Updated: Tuesday, November 27, 2012, 08:56

नई दिल्ली : योजना आयोग के पूर्व सदस्य किरीट पारिख ने डीजल से चलने वाली बड़ी कारों पर पेट्रोल कारों के मुकाबले 50,000 रुपये तक ज्यादा सालाना सड़क कर लगाने का सुझाव दिया है। पर इसका विरोध करते हुए वाहन उद्योग ने कहा है कि कारों पर इस तरह के किसी अतिरिक्त कर का तुक नहीं बनता।
पारिख को सरकार ने ईंधन पर दी जाने वाली सब्सिडी के बोझ पर नियंत्रण के लिए सुझाव देने की जिम्मेदारी दे रखी थी। उन्होंने कहा है कि डीजल पर प्रति लीटर नौ रुपए की सब्सिडी तय कर दी जाए और उसके बाद इसकी कीमत बाजार पर छोड़ दी जाए। पारिख इंटीग्रेटेड रिसर्च एंड ऐक्शन फॉर डेवलपमेंट के प्रमुख हैं।
पारेख ने यहां आटो कंपनियों के मंच सियाम के समारोह के मौके पर संवाददाताओं से कहा कि नई खरीद पर एक-मुश्त डीजल कर की बजाय मौजूदा एकमुश्त सड़क कर को खत्म कर सालाना सड़क कर की व्यवस्था हो और यह पेट्रोल तथा डीजल वाहनों पर अलग-अलग दर लागू हो।
यह पूछने पर कि क्या डीजल एवं पेट्रोल से चलने वाले वाहनों के बीच क्या फर्क हो सकता है तो उन्होंने कहा कि सामान्य कारों के मामले में डीजल माडले के मुकाबले 10,000 रुपए से 20,000 रुपए का फर्क होना चाहिए जबकि स्पोर्ट्स यूटिलिटी वेहिकल (एसयूवी) पर 50,000 रुपये तक का सड़क कर लगाया जाना चाहिए। पारिख ने कहा वित्त मंत्रालय को प्रस्ताव सौंप दिया गया है।
इस संबंध में वाहन उद्योग से जुड़ी संस्था सियाम और टोयोटा किलरेस्कर मोटर के उपाध्यक्ष विक्रम किलरेस्कर ने कहा कि आज वाहन की बिक्री मूल्य का 45 फीसद हिस्सा कर होता है और किसी अतिरिक्त कर का कोई मतलब नहीं है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, November 27, 2012, 08:56