Last Updated: Monday, June 4, 2012, 15:23
नई दिल्ली : वित्त मंत्रालय डीजल कारों पर उत्पाद शुल्क बढाने के प्रस्ताव की समीक्षा कर रहा है। ऐसा होता है तो सरकारी मदद से सस्ता बिकने वाले इस ईंधन से चालने वाली कारें मंहगी होंगी और लोग ऐसी कारें खरीदने से हतोत्साहित हो सकते हैं।
केंद्रीय उत्पाद एवं सीमा शुल्क (सीबीईसी) के अध्यक्ष एस के गोयल ने यहां संवाददाताओं से कहा, यह प्रस्ताव हमारे समक्ष है। वित्त मंत्री (प्रणब मुखर्जी) इस पर विचार कर रहे हैं। इस पर परामर्श चल रहा है और आने वाले समय में सरकार उचित फैसला लेगी। मौजूदा प्रावधानों के मुताबिक 1,200 सीसी से कम की पेट्रोल कारों और 1,500 सीसी से कम की डीजल कारों पर 12 फीसद उत्पाद शुल्क लगता है। चार मीटर से ज्याद लंबी कारों पर 24 फीसद शुल्क लगता है।
पेट्रोल और डीजल से चलने वाली चार मीटर से ज्यादा लंबी और 1,200 सीसी व 1,500 सीसी से ज्यादा की ईंजन क्षमता वाली कारों पर क्रमश: 27 फीसद का मूल्यानुसार कर और 15,000 रुपए का तय शुल्क लगता है।
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने वित्त मंत्रालय को सौंपे अपने बजट प्रस्ताव में डीजल कारों पर अतिरिक्त उत्पाद शुल्क लगाने का सुझाव दिया था ताकि निजी कार पर सब्सिडी वाले डीजल की खपत हतोत्साहित हो सके।
देश में डीजल की खपत सबसे अधिक होती है लेकिन इसे रियायती मूल्य पर बेचा जाता है। बड़ी गाड़ियां और एसयूवी भी डीजल से चलती हैं। साथ ही माल और दूरसंचार टावरों के जेनरेटर भी डीजल से ही चलते हैं।
दलील दी जा रही है कि अमीरों को सब्सिडी वाला ईंधन नहीं दिया जाना चाहिए। पेट्रोलियम मंत्रालय के आकलन के मुताबिक 15 फीसद डीजल की खपत निजी कारों और एसयूवी में होती है। (एजेंसी)
First Published: Monday, June 4, 2012, 15:23