Last Updated: Thursday, March 15, 2012, 09:46
नई दिल्ली : आम बजट से पहले संसद में आज पेश आर्थिक समीक्षा में सरकार के सब्सिडी बोझ को कम करने का सुझाव देते हुये कहा गया है कि बजट में डीजल पर दी जाने वाली प्रतिलीटर सब्सिडी तय कर दी जानी चाहिये।
समीक्षा में कहा गया है कि डीजल के मामले में जहां मूल्यों को नियंत्रण मुक्त करने के लिये शुरुआती प्रयास भी आगे नहीं बढ पायें हैं वहां आने वाले समय संभावित मध्यम कदम यह हो सकता है कि सरकार की तरफ से प्रति लीटर डीजल सब्सिडी निश्चित कर दी जाए।
समीक्षा में अंतरराष्ट्रीय तेल कीमतों का बोझ उपभोक्ताओं पर डालने की वकालत सिर्फ सब्सिडी का बोझ कम करने के लिए नहीं की गई है, बल्कि इसका मकसद डीजल की खपत को भी कम करना है। फिलहाल तेल कंपनियों को लागत से कम मूल्य पर डीजल, घरेलू एलपीजी और मिट्टी के तेल की बिक्री पर होने वाले नुकसान की आधी भरपाई वित्त मंत्रालय द्वारा की जाती है। मंत्रालय ने 2010-11 में 41,000 करोड़ रुपये की ईंधन सब्सिडी उपलब्ध कराई।
इस वित्त वर्ष में तेल कंपनियों को 1,37,000 करोड़ रुपये के राजस्व नुकसान का अनुमान है। इसमें कहा गया है कि यदि कच्चे तेल की कीमतें बढ़ती हैं, ऐसे में प्रति लीटर सब्सिडी तय होने से उपभोक्ता मूल्य बढ़ेगा। ऐसे में इससे डीजल की खपत कम करने का संकेत जाएगा। सार्वजनिक क्षेत्र की इंडियन आयल कारपोरेशन, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कारपोरेशन और भारत पेट्रोलियम को इस समय डीजल की प्रति लीटर की बिक्री पर 13.55 रुपये, केरोसिन पर प्रति लीटर 29.97 रुपये और 14.2 किलोग्राम की एलपीजी सिलेंडर पर 439 रुपये प्रति सिलेंडर का नुकसान हो रहा है।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, March 15, 2012, 21:17