‘डीजल मूल्य, बिजली दरों में वृद्धि को आर्थिक वृद्धि के नजरिये से देखें’

‘डीजल मूल्य, बिजली दरों में वृद्धि को आर्थिक वृद्धि के नजरिये से देखें’

‘डीजल मूल्य, बिजली दरों में वृद्धि को आर्थिक वृद्धि के नजरिये से देखें’चेन्नई : आगामी मौद्रिक समीक्षा से पहले रिजर्व बैंक ने आज कहा कि हाल में बढ़ाये गये डीजल के दाम और बिजली दरों में संभावित वृद्धि से मुद्रास्फीति पर असर पड़ेगा लेकिन केन्द्रीय बैंक को इसे आर्थिक वृद्धि के नजरिये से देखने की आवश्यकता है। रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने यहां एक सम्मेलन में संवाददाताओं से कहा हम डीजल मूलय वृद्धि से मुद्रास्फीति पर निकट भविष्य में पड़ने वाले असर को समझते हैं, लेकिन हमें इसे आर्थिक वृद्धि और इससे राजकोषीय घाटे को थामने में मिलने वाली मदद के नजरिये से देखना होगा। गोकर्ण ने यह भी कहा कि वह सोने के एवज में ऋण देने के जोखिमों को नियंत्रित करने का प्रयास कर रहा है। इसके लिये वह अपने नियमन उपायों को मजबूत कर रहा है। उन्होंने कहा कि रिजर्व बैंक ने बैंकों से कहा है कि वह कीमती धातु के एवज में कर्ज देने वाली गैर-बैंकिंग वित्त कंपनियों को पूंजी उपलब्धता कम करें। इस मामले में उपाय सुझाने के लिये रिजर्व बैंक ने एक कार्यसमूह भी गठित किया है।

उन्होंने कहा, हालांकि हमें यह नहीं भूलना चाहिये कि यदि डीजल के दाम बढ़ते हैं और उसके साथ ही बिजली की दरों में भी वृद्धि होती है तो इन दोनों से थोक मूलय सूचकांक पर असर होगा। अगस्त में थोक मूलय सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 7.55 प्रतिशत हो गई। आलू, गेहूं और दालों के दाम बढ़ने से इसमें बढ़त दर्ज की गई। हालांकि इस दौरान उपभोक्ता मूलय सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति 10.03 प्रतिशत पर रही।

ब्याज दरों में कमी लाने की उद्योग जगत की लगातार मांग के बावजूद रिजर्व बैंक यह कहता रहा है कि उसके लिये मुद्रास्फीति को नीचे लाना प्राथमिकता बनी हुई है। रिजर्व बैंक की पिछले महीने जारी मध्य तिमाही समीक्षा में केन्द्रीय बैंक ने बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में चौथाई फीसद की कमी लाकर 17,000 करोड़ की नकदी बैंकिंग तंत्र में छोडी थी। वित्त मंत्री पी.चिदंबरम ने तब कहा था कि 30 अक्तूबर को जब दूसरी तिमाही की मौद्रिक समीक्षा होगी तब रिजर्व बैंक की प्रतिक्रिया आर्थिक वृद्धि के लिहाज से और बेहतर होगी।

रिजर्व बैंक सोने में निवेश और उसके एवज में कर्ज देने के बढ़ते चलन पर भी अंकुश लगाने के प्रयास कर रहा है। गोकर्ण ने कहा हम किसी चीज को उत्साहित अथवा हतोत्साहित करने के लिये नहीं हैं, लेकिन हम यह आश्वस्त करेंगे कि इससे तंत्र में बड़ा जोखिम खड़ा नहीं होना चाहिये।’’ देश में सोने का आयात बढ़ने से माना जा रहा है कि चालू खाते का घाटा बढ़ रहा है और पिछले वित्त वर्ष में यह जीडीपी का 4.2 प्रतिशत तक पहुंच गया। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, October 3, 2012, 22:47

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