Last Updated: Saturday, November 12, 2011, 13:36
नई दिल्ली : नागर विमानन बाजार के विनियामक डीजीसीए ने निजी क्षेत्र की संकटग्रस्त किंगफिशर एयरलाइन्स से उसके बेड़े के नए तरीके से इस्तेमाल की योजना का और अधिक ब्यौरा जमा करने को कहा है। यह कदम एयरलाइन की बड़ी संख्या में नियमित उड़ानों को रद्द करने से लोगों की परेशानी के मद्देनजर उठाया गया है।
कंपनी का कहना है कि वह अपनी किफायती विमानन सेवा के बंद करने के बाद बेड़े के प्रयोग को नया रूप देने में लगी है, पर इस बीच कंपनी के लिए रोजमर्रा के खर्चे के लिए पैसे की समस्या खड़ी हो गई है और उसे ईंधन, अन्य सामान और उधार धन देने वालों ने उधार देने पर रोक लगा दी है। उल्लेखनीय है कि कंपनी ने पिछले छह दिनों में 160 उड़ानें रद्द की हैं।
नागर विमानन महानिदेशालय (डीजीसीए) के सूत्रों ने बताया कि विमानन कंपनी के मालिक विजय माल्या की ओर से महानिदेशालय को कुछ अंतरिम जवाब मिले हैं, लेकिन वह और ब्यौरे का इंतजार कर रहा है क्योंकि उसने पाया है कि कंपनी स्वीकृत शीतकालीन समय-सारणी के मुताबिक उड़ानों का परिचालन नहीं कर रही है।
इस बीच माल्या ने सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर लिखा, ‘हर सरकार विमानन कंपनियों और संपर्क को मदद करने के लिए लीक से हट कर काम किया है। भारतीय विमानन कंपनियों पर जरूरत से ज्यादा कर और शुल्क लगाया जाता है। पता नहीं क्यों?’ उन्होंने लिखा, ‘राज्य सरकारें जब भारी मात्रा में कर वसूलती हों तो क्या नुकसान वाले वायु मार्गों पर सेवाएं देना किंगफिशर की जिम्मेदारी है या फिर हमें वित्तीय समझदारी बरतते हुए मुनाफे के मार्गों पर ही उड़ान भरनी चाहिए?’
डीजीसीए प्रमुख ई. के. भारत भूषण ने कहा, ‘शीतकालीन समय-सारणी को मंजूरी दी जा चुकी थी और यह तत्काल प्रभाव से लागू भी हो गई थी। इसलिए हमने उसके आधार पर स्थिति का जायजा लिया और उनसे इस संबंध में सफाई पेश करने को कहा है।’
भारत भूषण ने आगाह किया यदि विमानन कंपनियां आवंटित उड़ानों का परिचालन नहीं कर सकती हैं तो वह समय दूसरी कंपनी को दे दिया जाएगा जो उस समय उड़ान परिचालित कर सकती है। किंगफिशर ने ऋण और घाटे के बोझ के चलते अपने ऋणों की किश्तों के पुनर्निर्धारण के लिए सरकार से मदद मांगी है।
(एजेंसी)
First Published: Saturday, November 12, 2011, 19:06