डीटीसी के मसौदे पर फिर से विचार करने की जरूरत : चिदम्बरम

डीटीसी के मसौदे पर फिर से विचार करने की जरूरत : चिदम्बरम

डीटीसी के मसौदे पर फिर से विचार करने की जरूरत : चिदम्बरमनई दिल्ली: वित्त मंत्री पी चिदम्बरम ने आज कहा कि प्रत्यक्ष कर संहिता (डीटीसी) पर नए सिरे से गौर करने की जरूरत है।

उल्लेखनीय है कि चिदम्बरम ने वित्त मंत्री के रूप में अपने पिछले कार्यकाल के दौरान 1961 के आयकर कानून की जगह नयी संहिता का प्रस्ताव किया था। पिछले वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी के कार्यकाल में इसके मूल मसौदे में कई संशोधन किये गए।

वित्त मंत्री ने केंद्रीय उत्पाद एवं सीमाशुल्क बोर्ड (सीबीईसी) के आला अफसरों की राजधानी में बैठक के बाद संवाददाताओं से बातचीत में यह भी कहा कि कर विभाग ऐसे लोगों के खिलाफ सख्ती के साथ पेश आएगा जिन्होंने करचोरी को ही धंधा बना लिया है।

डीटीसी के बारे में चिदंबरम ने कहा, ‘डीटीसी के कई संस्करण आ चुके हैं ,मुझे डीटीसी को देखने के लिए कुछ समय चाहिए। मुझे यहां गिनती के 28 दिन ही हुए हैं,इस पर फिर से गौर करने की जरूरत है। ’ चिदम्बरम ने संप्रग-1 के दौरान डीटीसी का विचार प्रस्तुत था बाद में वह गृह मंत्रालय के प्रभारी बना दिए गए। उनके बाद प्रणव मुखर्जी ने 2010 में प्रत्यक्ष कर संहिता विधेयक संसद में पेश किया। वित्त मंत्रालय से सम्बद्ध संसद की स्थायी समिति की सिफारिश पर इसमें कई बदलाव भी किये गए। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, August 28, 2012, 20:39

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