तेल सब्सिडी देने की हालत नहीं: प्रणब - Zee News हिंदी

तेल सब्सिडी देने की हालत नहीं: प्रणब



ज़ी न्‍यूज ब्‍यूरो

 

नई दिल्‍ली : वित्‍त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने मंगलवार को लोकसभा में वित्‍त विधेयक 2012  पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि देश के बढते राजकोषीय घाटे से निपटने के मद्देनजर सभी राजनीतिक पार्टियों सब्सिडी पर विचार करें और सभी दल सब्सिडी पर फैसला लें। सरकार तेल सब्सिडी देने की हालत में नहीं है। बढ़ता तेल घाटा चिंताजनक है।

 

उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि आपसी समझदारी से सबकुछ संभव है। चूंकि कई मसलों पर आपसी समझदारी और तालमेल बनानी पड़ती है। प्रणब ने इस बात को स्‍वीकार किया कि अंतरराष्‍ट्रीय हालात और संकट का असर भारत पर पड़ेगा। हालांकि सरकार इन चुनौतियों से निपटने में सक्षम है। उन्‍होंने कहा कि सुधारों के लिए गठबंधन की सहमति जरूरी है। महज 206 सांसदों की बदौलत सरकार नहीं चला सकते हैं। उन्‍होंने इस बात पर जोर दिया कि विकास की खातिर सभी पक्षों को साथ आना पड़ेगा। उन्‍होंने कहा कि सब्सिडी की वजह से तेल कंपनियों को हर दिन करोड़ों रुपये का घाटा हो रहा है। तेल के मद में बढ़ते सब्सिडी को बोझ को कम करना अब जरूरी हो गया है।

 

वित्‍त मंत्री ने कहा कि गार पर कोई समझौता नहीं हुआ है और विदेशी निवेश के लालच में भारत को टैक्‍स हेवेन देश नहीं बनने देंगे। लोकसभा में वित्त विधेयक 2012 पर चर्चा का जवाब देते हुए वित्त मंत्री प्रणब मुखर्जी ने कहा कि काले धन पर श्वेतपत्र तैयार करने का काम अंतिम चरण में है। इस विषय पर चालू बजट सत्र में 22 मई से काफी पहले संसद में श्वेतपत्र पेश किया जाएगा। चर्चा समाप्त होने के बाद भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने कहा कि पिछली बार काले धन पर वित्त मंत्री ने श्वेतपत्र लाने का जिक्र किया था। वित्त मंत्री ने कहा था कि इस विषय में कुछ संस्थाओं को अनुमान लगाने का काम सौंपा गया है।

 

उन्होंने कहा कि 22 मई को संसद का बजट सत्र समाप्त हो रहा है, तब संसद और देश के लोग उन लोगों का नाम जानना चाहेंगे कि जिन्होंने विदेश में कालाधन जमा किया है। देश यह जानना चाहेगा कि उन लोगों को दंडित करने के लिए क्या किया जा रहा है। वित्त मंत्री ने कहा कि वोडाफोन के मामले में मेरी पूरी दलील इसी विषय के इर्द गिर्द केन्द्रित है। कोई भी कंपनी जो भारत में स्थापित होती है, भारी मात्रा में पूंजी अर्जित करती है, वह भारत या अपने मूल देश में कर जमा नहीं करे, ऐसा नहीं हो सकता है। प्रणव ने कहा कि जिस प्रकार की व्यवस्था बनी है, उसके तहत अभियोग चलाने की स्थिति में ही नाम जाहिर किये जा सकते हैं। इससे पहले इस बात की जांच करनी होगी कि ऐसे लोगों ने क्या कानूनी अनुमति प्राप्त कर धन जमा किया है या इसे अवैध तरीके से जमा किया है। उन्होंने कहा कि जिन तीन संस्थाओं को इसका अनुमान लगाने का कार्य सौंपा गया वे इस वर्ष जुलाई-अगस्त अपनी रिपोर्ट सौंप देगी।

First Published: Wednesday, May 9, 2012, 00:03

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