Last Updated: Friday, August 3, 2012, 20:56

नई दिल्ली: कमजोर मानसून के कारण चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि घटकर 6.0 प्रतिशत पर आ सकती है। पिछले वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत थी।
योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोंटेक सिंह अहलूवालिया ने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘अगर कृषि क्षेत्र की स्थिति मजबूत नहीं रही तो वृद्धि दर घटकर 6 प्रतिशत पर आ जाएगी। मुझे नहीं लगता कि औद्योगिक क्षेत्र अभी पटरी पर आया है।’’ उन्होंने कहा कि इस आधार पर 12वीं योजना (2012-17) में सालाना औसत आर्थिक वृद्धि दर करीब 8.2 प्रतिशत रह सकती है दृष्टि पत्र में इसके 9.0 प्रतिशत रहने की बात कही गयी है। कमजोर मानसून तथा वैश्विक आर्थिक समस्याओं को देखते हुए रिजर्व बैंक ने हाल ही में 2012-13 के लिये वृद्धि अनुमान को 7.3 प्रतिशत घटाकर 6.5 प्रतिशत कर दिया है।
यह पूछे जाने पर कि क्या सूखे जैसी स्थिति से निपटने के लिये विशेष योजनाओं की जरूरत है, अहलूवालिया ने कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि प्रोत्साहन की जरूरत है। इन मुद्दों से राज्य सरकारों को निपटना है। सामान्य तौर पर वे सुधारात्मक कदम उठाने को लेकर गंभीर रहते हैं।’ उन्होंने आगे कहा कि ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना मनरेगा ग्रामीण क्षेत्रों में बेरोजगारी की समस्या से निपट सकता है।
अहलूवालिया ने कहा कि देश पहले भी कई बार कमजोर मानसून देख चुका है। ऐसी संभावना है कि आने वाले महीनों में स्थिति सुधरेगी।
उन्होंने कहा, ‘मौसम विभाग ने कहा है कि आगामी दो महीने में मानसून की स्थिति पिछले दो महीने के मुकाबले बेहतर रहेगी। लेकिन कुल मिलाकर बारिश सामान्य से कम रहेगी। इसमें कुछ भी नया नहीं है।’
सूखे का कीमत स्थिति पर पड़ने वाले प्रभाव के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा, ‘यह सही है कि मुद्रास्फीति समस्या रही है। हालांकि यह दोहरे अंक से नीचे आयी है लेकिन अभी भी 7 प्रतिशत के आसपास है और यह अच्छा नहीं है।’’ उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति अगर 5 से 6 प्रतिशत के बीच है तो इसे नियंत्रण में समझा जाएगा लेकिन इससे उपर रहती है तो यह चिंता का कारण है। थोक मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति जून महीने में 7.25 प्रतिशत रही जबकि खुदरा स्तर पर यह 10.02 प्रतिशत थी। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 3, 2012, 20:56