Last Updated: Thursday, May 2, 2013, 17:12
वाशिंगटन : कैंसर की एक दवा पर भारतीय उच्चतम न्यायालय के हाल के आदेश पर अपनी चिंता जताते हुए अमेरिका ने कहा कि दवावों को सुलभ बनाना और नई खोज को मान्यता प्रदान करना ‘परस्पर विरोधाभासी बात’ नहीं है।
अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि (यूएसटीआर) कार्यालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘मेरी राय में दवा पेटेंट संबंधी भारतीय उच्चतम न्यायालय के फैसले के संबंध में यह कहना उचित होगा कि भारत और अमेरिका दोनों ही सरकारें चाहती हैं कि लोगों को सुरक्षित और सस्ती दवाएं सुलभ हों। अमेरिका का मानना है कि सुलभता और नव-प्रवर्तन को मान्यता दिए जाने में परस्पर कोई विरोध नहीं है।’ अमेरिकी अधिकारी विभिन्न देशों में बौद्धिक संपदा अधिकारों के उल्लंघन के बारे में अमेरिकी संसद के लिए यूएसटीआर द्वारा तैयार एक रपट जारी किए जाने के बाद संवाददाताओं से बातचीत कर रहा था।
अपना नाम जाहिर न करने की शर्त पर अमेरिकी अधिकारी ने कहा, ‘हम दवाओं को सुलभ और सस्ती बनाने की नीति को प्रोत्साहित करते हुए भी नई और बेहतर दवाओं के विकास एवं नव-प्रवर्तन को बढ़ावा दे सकते हैं। हमारा मानना है कि नव-प्रवर्तन को बढ़ावा देना नीतिगत पहल का महत्वपूर्ण हिस्सा है।’ अमेरिका की इस रपट में बौद्धिक संपदा कानून के उल्लंघन के मामले में भारत को चीन व रूस और सात अन्य देशों के साथ प्राथमिकता वाली निगरानी सूची में रखा गया है। (एजेंसी)
First Published: Thursday, May 2, 2013, 17:12