Last Updated: Wednesday, May 2, 2012, 18:30
नई दिल्ली : देश में निजी क्षेत्र की सबसे बड़ी मोबाइल दूरसंचार सेवा कंपनी भारती एयरटेल के अध्यक्ष सुनील भारती मित्तल ने आज कहा कि दूरसंचार बाजार के विनियमन के मामले में हाल की घटनाओं से अनिश्चितता उत्पन्न हुई है और इसका इस क्षेत्र के भविष्य पर बड़ा असर पड़ सकता है।
कंपनी के 2011-12 के वित्तीय नतीजे के साथ आज यहां जारी एक बयान में मित्तल ने कहा कि भारत में हाल के नियामकीय क्षेत्र की घटनाओं से टेलीफोन और ब्राडबैंड सेवा बाजार के भविष्य और विश्व बाजार में भारत की प्रतिस्पर्धात्मक स्थिति पर गहरा असर पडेगा।
इस बीच भारती एंटरप्राईजेज के उप मुख्य कार्याधिकारी और प्रबंध निदेशक अखिल गुप्ता ने आज ही यहां संवाददाताओं से कहा कि नियामक फैसलों के लिहाज से यह (2011-12) वर्ष सबसे अशांत रहा। अनिश्चितता न सिर्फ बरकरार है बल्कि बहुत अधिक है। गुप्ता ने कहा कि सरकार को स्पेक्ट्रम के मूल्य के संबंध में ग्राहकों और उद्योग के फायदे वाले फैसले लेने चाहिए।
यह टिप्पणी उस वक्त आई है जबकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकार (ट्राई) ने स्पेक्ट्रम की नीलामी के लिए न्यूनतम आधार मूल्य की जो सिफारिश की है उसे उद्योग जगत बहुत उंचा बता रहा है। ट्राई की सिफारिशों के पहले पहले उच्चतम न्यायालय ने फरवरी के शुरू में अपने एक आदेश में जनवरी 2008 में जारी 2जी सेवा लाइसेंस-स्पेक्ट्रम रद्द कर दिया था। ट्राई ने सुझाव दिया है कि राष्ट्रीय स्तर पर 1,800 मेगाहर्त्ज बैंड के प्रति इकाई (मेगाहर्ट्ज) स्पेक्ट्रम की सरकारी (न्यूनतम) बोली 3,622 करोड़ रुपए रखी जाए। यह 2008 में तत्कालीन दूरसंचार मंत्री ए राजा के कार्यकाल में आवंटित 4.4 मेगाहर्ट्ज के स्पेक्ट्रम के मूल्य से करीब 10 गुना अधिक है। ट्राई के मुताबिक कम से कम पांच मेगाहर्ट्ज स्पेक्ट्रम का आवंटन होना चाहिए जिसका मतलब होगा के पूरे देश में 1800 मेगाहर्ट्ज बैंड के स्पेक्ट्रम की कुल लागत लगभग 18,000 करोड़ रुपए होगी।
(एजेंसी)
First Published: Thursday, May 3, 2012, 00:00