दूरसंचार लाइसेंस के लिए नए नियम जारी

दूरसंचार लाइसेंस के लिए नए नियम जारी

दूरसंचार लाइसेंस के लिए नए नियम जारी नई दिल्ली : सरकार ने एकीकृत लाइसेंस व्यवस्था के लिए बहुप्रतीक्षित नियम शुक्रवार को जारी कर दिये। इसमें स्पेक्ट्रम और कंपनियों को मिले क्षेत्र विशेष के लाइसेंस को अलग रखा गया है। इसमें कंपनियों को कोई भी प्रौद्योगिकी के इस्तेमाल की आजादी दी गई है।

नए नियमों के तहत कंपनियों को एक ही सर्किल के अंदर और एक सर्किल से दूसरे सर्किल में रोमिंग की पेशकश करने की छूट होगी लेकिन कंपनियों को ऐसे सर्किल में नये ग्राहक बनाने की अनुमति नहीं होगी जहां का लाइसेंस उनके पास नहीं है।

एकीकृत लाइसेंस के जारी नियमों के मुताबिक सभी दूरसंचार कंपनियों को अपने मौजूदा लाइसेंस की अवधि समाप्त होने पर नये नियमों को स्वीकार करना होगा। उन्हें अपने दूरसंचार सेवाओं से होने वाली आय का 8 प्रतिशत लाइसेंस फीस के तौर पर चुकाना होगा।

नये लाइसेंस नियमों के तहत दूरसंचार कंपनियों को कोई भी तकनीक का इस्तेमाल करते हुये मोबाइल और फिक्सड लाइन सेवायें देने की अनुमति होगी। कंपनियां इंटरनेट टीवी सेवायें भी दे सकेंगी। नये एकीकृत लाइसेंस 20 साल के लिये मान्य होंगे और अगले 10 साल के लिये इनका नवीनीकरण किया जा सकेगा।

दूरसंचार विभाग द्वारा जारी लाइसेंस समझौते में दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को उनके कार्य संचालन वाले क्षेत्र में किसी दूसरे दूरसंचार ऑपरेटर में लाभकारी भागीदारी से रोका गया है।

एकीकृत लाइसेंस नियमों के अनुसार ‘स्पेक्ट्रम मिलने अथवा प्राप्त होने की स्थिति में कोई भी लाइसेंसधारक अथवा प्रवर्तक प्रत्यक्ष रूप से अथवा अप्रत्यक्ष रूप से उसी सेवा क्षेत्र में स्पेक्ट्रम रखने वाली दूसरी लाइसेंसधारक कंपनी में कोई भी लाभकारी भागीदारी नहीं रख सकता।’

इस नियम से रिलायंस कम्युनिकेशंस और वोडाफोन जैसी कंपनियों पर असर होगा जिनके पास पिछली लाइसेंसिंग व्यवस्था के तहत दूसरी दूरसंचार कंपनियों में 9.9 प्रतिशत तक की हिस्सेदारी है। रिलायंस कम्युनिकेशंस के पास रिलायंस टेलिकॉम लिमिटेड में हिस्सेदारी है। रिलायंस टेलिकॉम के पास आठ दूरसंचार सर्किलों में जीएसएम सेवा देने का परमिट है।
इनमें से छह सेवा क्षेत्र-बिहार, ओडिशा, मध्यप्रदेश, पश्चिम बंगाल, हिमाचल प्रदेश और कोलकाता, रिलायंस कम्युनिकेशंस के साथ साझा हैं।

रिलायंस टेलिकॉम लिमिटेड के लाइसेंस का दिसंबर 2015 में नवीनीकरण होना है। वोडाफोन के पास भी भारती एयरटेल में 4 प्रतिशत हिस्सेदारी है जो कि अनुमति प्राप्त दायरे में है।

नियमों के अनुसार एकीकृत लाइसेंस अपनाने वाली दूरसंचार कंपनियों को सभी तरह की दूरसंचार सेवाएं उपलब्ध कराने के लिये अधिकतम 15 करोड़ रुपए का भुगतान करना होगा जबकि राष्ट्रीय स्तर पर लंबी दूरी और इंटरनेट जैसी चुनिंदा सेवाएं देने वाली कंपनियों के लिये अलग एकबारगी प्रवेश शुल्क का प्रावधान है।

नियमों के अनुसार एकीकृत लाइसेंस के लिये आवेदन करने वाली कंपनियों को अधिकतम 220 करोड़ रुपए की कार्य निष्पादन बैंक गारंटी देनी होगी। (एजेंसी)

First Published: Friday, August 2, 2013, 22:37

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