Last Updated: Monday, March 4, 2013, 14:06

नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक ने सोमवार को कहा कि निजी क्षेत्र में नए बैंक लाइसेंस हासिल करने के लिये वित्तीय समावेश महत्वपूर्ण मानदंड होगा। रिजर्व बैंक ने पिछले महीने नये बैंक लाइसेंस के लिए दिशानिर्देश जारी किया था। इसमें कहा गया है कि आवेदन पर विचार के लिए महत्वपूर्ण मानक आवेदनकर्ता का कारोबारी माडल होगा और उसे वित्तीय समावेशी उपलब्ध कराना चाहिए।
रिजर्व बैंक के गवर्नर डी. सुब्बाराव ने यहां एक कार्यक्रम में कहा कि हमने यह भी कहा है कि नए बैंकों के लिए अपनी एक चौथाई शाखाएं 10,000 से कम आबादी वाले जगहों पर खोलना आवश्यक होगा। उन्होंने कहा कि मैं विश्वास करता हूं कि नए बैंक के लिए आवेदनकर्ताओं को वास्तव में वित्तीय समावेशी के प्रति रूचि होनी चाहिए और वे नए विचारों के साथ आगे आएंगे।
दिशानिर्देश के तहत नए बैंक खोलने में रूचि रखने वाली इकाइयों को एक जुलाई 2013 तक अपने आवेदन भेजने हैं। नए नियमों के तहत नए लाइसेंस के आवेदन के लिए निजी एवं सार्वजनिक क्षेत्र की इकाइयों के लिए 10 साल का अनुभव निर्धारित किया गया है। नए बैंकों के लिए शुरुआती चुकता पूंजी 500 करोड़ रुपये निर्धारित की गई हैं सुब्बाराव ने कहा कि केंद्रीय बैंक की जिम्मेदारी का महत्वपूर्ण हिस्सा वित्तीय स्थिरता है और वित्तीय स्थिरता के लिए वित्तीय साक्षरता जरूरी है।
केंद्रीय बैंक वित्तीय साक्षारता में मामले में कई कदम उठाए हैं। वित्तीय समावेशी लक्ष्य के समक्ष कई चुनौतियों को रेखांकित करते हुए सुब्बाराव ने कहा कि अपने ग्राहक को जानो (केवाई) नियम को उदार बनाकर तथा विशिष्ट पहचान संख्या से प्रक्रिया को आसान बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि गरीबों को बैंकिंग गतिविधियों के अंतर्गत लाने के लिए बैंकों को वित्तीय समावेशी लक्ष्य को एक कारोबारी अवसर के रूप में लेना होगा। (एजेंसी)
First Published: Monday, March 4, 2013, 14:06