Last Updated: Tuesday, January 24, 2012, 09:55
नई दिल्ली : भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा मौद्रिक नीति की तिमाही समीक्षा में नकद आरक्षित अनुपात (सीआरआर) में आधा फीसदी की कटौती से उद्योग जगत संतुष्ट नजर आ रहा है पर उसका कहना है कि नीतिगत ब्याज दर में कटौती से ज्यादा फायदा होता।
उद्योग जगत का मानना है कि सीआरआर में कटौती से उसके समक्ष आ रही नकदी की समस्या दूर हो सकेगी।
फिक्की का मानना है कि रेपो दर में कटौती ज्यादा फायदेमंद रहती। फिक्की के अध्यक्ष आर वी कनोडिया ने कहा, ‘अनिश्चित वृद्धि के रुख को देखते हुए रेपो दर में कटौती निवेश बढ़ाने में ज्यादा सहायक हो सकती थी।’ उद्योग मंडल सीआईआई के महानिदेशक चंद्रजीत बनर्जी ने एक बयान में कहा, ‘रिजर्व बैंक का सीआरआर में आधा फीसदी की कटौती स्वागत योग्य है। इससे बैंकिंग तंत्र में नकदी की कमी दूर होगी, जो नवंबर, 2011 के बाद से सख्त बनी हुई है।’ बैंकों को अपनी नकदी का एक निश्चित प्रतिशत केंद्रीय बैंक के पास रखना होता है। इस दर को सीआरआर कहा जाता है।
एक अन्य उद्योग मंडल एसोचैम ने कहा है कि अतिरिक्त तरलता से नकदी संकट की वजह से अधर में लटकी व्यावहारिक परियोजनाओं के लिए धन उपलब्ध हो सकेगा। एसोचैम के महासचिव डीएस रावत ने कहा, ‘महंगाई पर अंकुश लगाने के अपने प्रयास के बाद अब रिजर्व बैंक वृद्धि की रफ्तार बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित कर रहा है।’
(एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 24, 2012, 15:25