Last Updated: Tuesday, January 1, 2013, 15:10

नई दिल्ली: देश की अर्थव्यवस्था को नरमी की राह से तेजी की ओर मोड़ना और भारतीय बाजार के प्रति निवेशकों का भरोसा बहाल करना नए साल में सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता होगी।
उम्मीद है कि वित्त मंत्री पी. चिदंबरम अगले बजट में निवेशकों के अनुकूल कुछ नए उपाय करेंगे ताकि अर्थव्यवस्था को फिर से तेजी की राह पर वापस लाने में मदद मिल सके।
हालांकि, वैश्विक कारकों को देखते हुए अर्थव्यवस्था को तेजी की पटरी पर लाना सरकार और रिजर्व बैंक दोनों के लिए ही चुनौतीपूर्ण है और इसमें समय लग सकता है। चिदंबरम पहले ही कह चुके हैं कि राजकोषीय स्थिति को ठीक करने और अर्थव्यवस्था की राह में अड़चने दूर करने के लिए ‘कड़वी दवाइयों’ की जरूरत है।
देश की आर्थिक वृद्धि दर जनवरी-मार्च तिमाही (2012) में घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ गई जिससे वर्ष 2011.12 के दौरान जीडीपी वृद्धि दर घटकर महज 6.5 प्रतिशत रही।
पूर्व वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी और उनके बाद पी. चिदंबरम द्वारा आर्थिक वृद्धि दर में तेजी लाने के गंभीर प्रयास किए जाने के बावजूद अप्रैल-जून,12 की तिमाही में वृद्धि दर 5.5 प्रतिशत रही और जुलाई.सितंबर तिमाही में यह फिर घटकर 5.3 प्रतिशत पर आ गई।
अर्थव्यवस्था में नरमी का रुख जारी रहने की वजह से रिजर्व बैंक और वित्त मंत्रालय दोनों ने ही वृद्धि दर के अपने अपने अनुमान घटा दिए। जहां रिजर्व बैंक ने 2012.12 के लिए आर्थिक वृद्धि दर का अनुमान घटाकर 5.8 प्रतिशत कर दिया है, वित्त मंत्रालय ने इसे 5.7 से 5.9 प्रतिशत के दायरे में रहने का अनुमान जताया है। (एजेंसी)
First Published: Tuesday, January 1, 2013, 15:10