Last Updated: Friday, September 28, 2012, 16:28
नई दिल्ली : सहारा समूह ने शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय को भरोसा दिलाया कि वह उसके अपनी दो कंपनियों द्वारा पूर्ण परिवर्तनीय डिबेन्चर के जरिए निवेशकों से जुटाई गई पूंजी उन्हें तीन महीने के अंदर वापस कर देगा।
न्यायालय ने इन कंपनियों के खिलाफ शेयर बाजार नियामक सेबी की कार्रवाई को सही करार देते हुए कंपनियों को ब्याज समेत निवेशकों का पैसा लौटाने का आदेश दिया है और यह रकम 24 हजार करोड़ रुपए के आस-पास बनती है।
न्यायमूर्ति के.एस. राधाकृष्णन की अध्यक्षता वाली खंडपीठ को सहारा समूह की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल सुब्रमण्यम ने आज यह भरोसा देते हुए कहा कि जिम्मेदारी से पीछे हटने का सवाल ही नहीं उठता।
उन्होंने न्यायालय से आग्रह किया कि उसे सेबी के साथ असहमति के बिन्दुओं को सुलझाने के लिए कुछ वक्त दिया जाए। सेबी ने आरोप लगाया था कि सहारा समूह शीर्ष अदालत के 10 सितंबर के आदेश के बावजूद निवेशकों से संबंधित जानकारी उसे मुहैया नहीं करा रहा है।
यह खंडपीठ इस मुद्दे को लेकर दायर सेबी की अर्जी पर सुनवाई कर रही है। न्यायालय ने संक्षिप्त सुनवाई के बाद आगे सुनवाई के लिए 19 अक्तूबर की तारीख तय की है।
शीर्ष अदालत ने 31 अगस्त को कहा था कि यदि सहारा इंडिया रीयल इस्टेट कापरेरेशन और सहारा हाउसिंग इंवेन्स्टमेन्ट कापरेरेशन निवेशकों को उनका धन लौटाने में विफल रहती है तो सेबी इन कंपनियों की संपत्ति और बैंक खाते जब्त कर सकती है।
न्यायालय ने इन कंपनियों से कहा था कि वे तीन महीने के भीतर निवेशकों को 15 फीसदी ब्याज के साथ रकम लौटाएं। न्यायालय ने सहारा समूह से यह भी कहा था कि इससे संबंधित सारे दस्तावेज सेबी को सौंपे जाएं।
यही नहीं, न्यायालय ने सहारा समूह की इन दो कंपनियों के खिलाफ सेबी की कार्रवाई पर निगाह रखने की जिम्मेदारी उच्चतम न्यायालय के पूर्व न्यायाधीश बी.एन अग्रवाल को सौंपी है।
न्यायालय ने कहा था कि ऐसे आर्थिक अपराधों में लिप्त होने वाली कंपनी की दीवानी और आपराधिक जिम्मेदारी तय की जानी चाहिए। (एजेंसी)
First Published: Friday, September 28, 2012, 16:28