Last Updated: Saturday, May 4, 2013, 15:11

ग्रेटर नोएडा : प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने आज कहा कि सरकार 12वीं पंचवर्षीय योजना में वाषिर्क 8 प्रतिशत की आर्थिक वृद्धि दर के लक्ष्य को हासिल करने और भारत को निवेश का आकषर्क स्थान बनाने के लिए कदम उठा रही है।
सिंह ने यहां एशियाई विकास बैंक की 46वीं वाषिर्क आम बैठक का उद्घाटन करते हुए कहा, ‘‘ हम निवेश में तेजी लाने एवं भारत को घरेलू और विदेशी निवेशकों का एक आकषर्क स्थान बनाने की दिशा में कदम उठा रहे हैं। हमने प्रमुख ढांचागत परियोजनाओं में तेजी लाने के लिए कदम उठाए हैं।’’ प्रधानमंत्री ने इस सम्मेलन में भाग लेने आए विभिन्न देशों के वित्त मंत्रियों और केंद्रीय बैंक के गवर्नरों सहित अंतरराष्ट्रीय प्रतिनिधियों को आश्वस्त किया कि भारत सरकार देश की राजकोषीय स्थिति मजबूत करने एवं आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने के लिए तगड़े उपाय कर रहा है। उन्होंने कहा, भारत ने 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिए 8 प्रतिशत से अधिक की वृद्धि का लक्ष्य रखा है। यह दर भारत पिछले दशक में हासिल कर चुका है।
वृहद परियोजनाओं में निवेश में तेजी लाने के लिए सरकार ने हाल ही में निवेश से संबद्ध मंत्रिमंडलीय समिति गठित की है जो 1,000 करोड़ रपये से अधिक की उन निवेश परियोजनाओं को मंजूरी देगी जो विभिन्न नियामकीय मंजूरियों के इंतजार में लटकी हैं।
पिछले साल, सरकार ने राजकोषीय स्थिति मजबूत करने का खाका पेश किया जिसमें 2016-17 तक राजकोषीय घाटे को सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) के 3 प्रतिशत के स्तर पर लाने का लक्ष्य रखा गया है। समावेशी विकास को प्रोत्साहित करने के लिए उठाए गए कदमों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार ने काम, शिक्षा और सरकारी अधिकारियों से सूचना प्राप्त करने का कानूनी हक दिया है।
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारी योजना देश के लोगों को सस्ते दाम पर अनाज प्राप्त करने का कानूनी हक दिलाने की भी है। इस संबंध में विधेयक संसद के समक्ष है।’’ सिंह ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) कार्यक्रम से लाभार्थियों को जहां लाभ मिलना आसान हो जाएगा वहीं उससे सरकारी डिलीवरी (यानी सुविधा प्रस्तुत करने) की प्रणाली में भ्रष्टाचार भी खत्म होगा व बर्बादी रकेगी। (एजेंसी)
एडीबी मनमोहन तीन
सिंह ने इस अनुमान का उल्लेख किया कि एडीपी की क्षमतानुसार दिए जाने वाली रिण सहायता का स्तर घट सकता है। प्रधानमंत्री ने सुझाव दिया कि मनीला स्थित यह बहुपक्षीय वित्तीय संस्था ऐसे कुछ नए तरीके निकालने चाहिए जिससे वैश्विक बस्तर पर बचत को विकासशील देशों में ढांचागत परियोजनाओं के विकास के लिए सुलभ कराया जा सके।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ एडीबी के माध्यम से ढांचागत परियोजनाओं का वित्त पोषण व निवेश बढ़ाने से दीर्घकालीन ढांचागत परियोजनाओं के लिए कर्ज की लागत में कमी लाने में मदद मिल सकती है। मैं आशा करता हूं कि एडीबी इस दिशा में बढ़ने पर विचार कर सकता है और क्षेत्र में वृद्धि दर को प्रोत्साहित कर सकता है।’’ भारत.एडीबी संबंधों का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि दोनों का ही विकास की प्रक्रियाओं को समावेशी और टिकाउ बनाने का एक साझा एजेंडा है।
उन्होंने समावेशी और (पर्यावरण आदि की दृष्टि से) टिकाउ आर्थिक वृद्धि के एजेंडा के बारे में कहा, ‘‘ मैं गहराई से यह मानता हूं कि यह महज एक सामाजिक एवं राजनीतिक आवश्यकता ही नहीं, बल्कि दीर्घकालीन टिकाउ वृद्धि के लिए एक मजबूत सहारा है।’’ सिंह ने कहा कि एशिया प्रशांत में देशों के बीच क्षेत्रीय सहयोग एवं एकीकरण आर्थिक वृद्धि में तेजी लाने, गरीबी घटाने और आर्थिक असामानता दूर करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। उन्होंने सीमा.पार ढांचागत विकास, व्यापार एवं निवेश बाधाओं को दूर करने एवं प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित सहयोग पर खास जोर दिया।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ भारत क्षेत्रीय एकीकरण में पूरा विश्वास करता है और इसे प्रोत्साहित करने को प्रतिबद्ध है। हम पूर्वी एवं दक्षिणपूर्व एशियाई देशों के साथ गहरा संबंध बनाने को प्रतिबद्ध हैं।’’ उन्होंने संकेत दिया कि एशिया का पुनरत्थान उस प्रक्रिया का हिस्सा है जहां हाल के वषरें में आर्थिक शक्ति उभरती अर्थव्यवस्थाओं की ओर रख कर रही है।
क्रय शक्ति समानता के बारे में सिंह ने कहा कि 2012 में वैश्विक आर्थिक वृद्धि में 80 प्रतिशत योगदान उभरती अर्थव्यवस्थाओं का रहा जिसमें उभरते एशिया का प्रमुख योगदान रहा और चीन व भारत ने इसमें क्रमश: 35 व 10 प्रतिशत योगदान किया।
वर्ष 2013 में आईएमएफ ने विकसित देशों की वृद्धि दर महज 1.2 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया, जबकि विकासशील एशियाई देशों की वृद्धि दर इसके पांच गुना से अधिक 7.1 प्रतिशत रहने का अनुमान जताया। (एजेंसी)
First Published: Saturday, May 4, 2013, 14:36