पूंजी नियंत्रण के मुद्दे को जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया: एसोचैम

पूंजी नियंत्रण के मुद्दे को जरूरत से ज्यादा तूल दिया गया: एसोचैम

नई दिल्ली : वाणिज्य एवं उद्योग मंडल एसोचैम के अनुसार विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में हाल के दिनों में रुपये की गिरावट को थामने के लिये पूंजी नियंत्रण लौटने संबंधी आशंकाओं को कुछ ज्यादा ही तूल दिया गया। बाजार में ऐसी आशंका बन गई कि डॉलर के मुकाबले रुपये में तेज गिरावट को थामने के लिये रिजर्व बैंक एक बार फिर से पूंजी नियंत्रण के उपाय कर सकता है, इस हौव्वे को जरूरत से ज्यादा तूल दे दिया गया जिससे बाजार में उहापोह की स्थिति बनी। एसोचैम के एक सर्वेक्षण में यह तथ्य सामने आया है।

एसोचैम के सर्वेक्षण के मुताबिक, रुपये में गिरावट को लेकर जरूरत से अधिक हौव्वा खड़ा किया गया। यह इतना अधिक था कि इसने सरकार और रिजर्व बैंक को पूरी तरह से बेचैन कर दिया और एक समय ऐसा लगने लगा कि सरकार विदेशी पूंजी प्रवाह वापस विदेशी बाजारों में जाने पर घबराहट में है।

उल्लेखनीय है कि रुपया पर लगातार दबाव रहने के बीच रिजर्व बैंक ने हाल ही में कुछ सख्त उपाय किए जिसमें विदेश में निवेश करने वाली भारतीय कंपनियों पर पाबंदियां एवं देश से विदेश भेजे जाने वाले धन में कटौती आदि शामिल हैं। सर्वेक्षण में कहा गया, स्थिति इतनी भयावह नहीं थी कि रिजर्व बैंक व वित्त मंत्रालय को कुछ खास उपाय करने को बाध्य करे। हालांकि, वित्त मंत्रालय और आरबीआई के पर्याप्त प्रयासों से नुकसान की कुछ हद तक भरपाई हो गई।

रिजर्व बैंक ने सार्वजनिक क्षेत्र की तेल कंपनियों को छोड़कर अन्य घरेलू कंपनियों द्वारा स्वत: स्वीकृत मार्ग से विदेश में निवेश के लिये प्रत्यक्ष निवेश को उनकी नेटवर्थ के 400 प्रतिशत से घटाकर 100 प्रतिशत कर दिया। हालांकि, आयल इंडिया और ओएनजीसी विदेश को इस सीमा से मुक्त रखा गया। (एजेंसी)

First Published: Sunday, August 25, 2013, 21:33

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