Last Updated: Friday, August 24, 2012, 23:57
नई दिल्ली : देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) जून महीने में घटकर महज 1.24 अरब डॉलर रहा। यह लगातार तीसरा महीना है जब एफडीआई में कमी आई है। पिछले वर्ष इसी महीने में 5.65 अरब डॉलर का प्रत्यक्ष विदेशी निवेश आया था।
विशेषज्ञों ने विदेशी पूंजी प्रवाह में गिरावट का कारण वैश्विक तथा घरेलू आर्थिक समस्याओं को बताया है और सरकार से वैश्विक निवेशकों का विश्वास बहाल करने के लिए बड़े सुधारों को आगे बढ़ाने को कहा है।
उद्योग मंडल फिक्की के महासचिव राजीव कुमार ने कहा, आंकड़ा काफी कम है। अब सरकार को बहु-ब्रांड खुदरा क्षेत्र में एफडीआई की मंजूरी देने तथा विदेशी विमानन कंपनियों को घरेलू कंपनियों में हिस्सेदारी खरीदने जैसी मंजूरी देनी चाहिए। इन उपायों से एफडीआई आकषिर्त करने में मदद मिलेगी।
एफडीआई में गिरावट ऐसे समय हुई जब देश की आर्थिक वृद्धि दर 2011-12 में घटकर नौ वर्ष के निम्न स्तर 6.5 प्रतिशत पर आ गई। जनवरी-मार्च तिमाही में वृद्धि केवल 5.3 प्रतिशत रही थी।
औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि चालू वित्त वर्ष की अप्रैल-जून तिमाही में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सालाना आधार पर 67 प्रतिशत घटकर 4.42 अरब डॉलर रहा।
एफडीआई में कमी से भुगतान संतुलन पर दबाव बढ़ेगा और रुपए पर भी प्रभाव पड़ सकता है। अगर जिंस तथा तेल की कीमत वैश्विक स्तर पर बढ़ती है तो कमजोर घरेलू मुद्रा पर दबाव और बढ़ेगा। (एजेंसी)
First Published: Friday, August 24, 2012, 23:57