Last Updated: Friday, July 5, 2013, 17:16
नई दिल्ली : विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड (एफआईपीबी) ने भारतीय फार्मास्युटिकल्स कंपनियों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) के 7 प्रस्तावों को मंजूरी दे दी, जबकि स्वामित्व नियंत्रण के मुद्दे को लेकर तीन अन्य पर फैसला टाल दिया।
बोर्ड की बैठक के वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने यहां कहा, ‘एफआईपीबी ने सभी आवेदनों पर विचार किया और पात्रता के हिसाब से फैसला किया। हमने 7 प्रस्तावों को मंजूरी दी और 3 अन्य पर फैसला टाल दिया।’ आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम की अगुवाई वाले विदेशी निवेश संवर्धन बोर्ड ने कुल 30 एफडीआई प्रस्तावों पर विचार किया। इनमें सात फार्मा क्षेत्र से संबंधित हैं।
अधिकारी ने कहा कि जिन मामलों में नियंत्रण से संबंधित मुद्दा है, उन पर औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग (डीआईपीपी) की समीक्षा तक फैसला टाल दिया गया है। ‘हम अंतिम नीतिगत फैसले का इंतजार करेंगे।’ हालांकि, अधिकारी ने यह नहीं बताया कि किन प्रस्तावों पर फैसला टाला गया है।
एफआईपीबी की आज की बैठक में जिन प्रस्तावों पर विचार हुआ उनमें सिंगापुर ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन प्राइवेट लिमिटेड, अमेरिका की माइलैन इंक, मारीशस की कैसलटन इन्वेस्टमेंट लिमिटेड, मुंबई की फेरिंग थेरापेटिक्स और हैदराबाद की वेदांत लाइस साइंसेज शामिल हैं।
फिलहाल देश में फार्मा क्षेत्र में नई परियोजनाओं में स्वत: मंजूर मार्ग से शतप्रतिशत एफडीआई की अनुमति है, जबकि मौजूदा फार्मा कंपनियों में एफडीआई की अनुमति सिर्फ एफआईपीबी की मंजूरी के बाद मिलती है। सरकार जल्द मौजूदा दवा कंपनियों के लिए एफडीआई नीति को अंतिम रूप देने वाली है। (एजेंसी)
First Published: Friday, July 5, 2013, 17:16