Last Updated: Sunday, March 18, 2012, 08:11
नई दिल्ली : विशेषज्ञों ने कहा कि 2012-13 के बजट में आर्थिक सुधार की प्रमुख पहलों के लिए समयसीमा तय नहीं की गई और न ही बढ़ती सब्सिडी की समस्या को दूर करने के लिए कोई ठोस कदम उठाए गए हैं।
डन एंड ब्रैडस्ट्रीट, इंडिया के अध्यक्ष एवं मुख्य कार्याधिकारी कौशल संपत ने कहा कि बजट में बातें बड़ी बड़ी हुई लेकिन ठोस पहल का प्रस्ताव नहीं किया गया। भारतीय उद्योग को इससे बड़ी उम्मीदें थीं। उन्होंने कहा, ‘यह कामचलाउ बजट है जिसमें समावेशी वृद्धि पर ध्यान दिया गया है लेकिन जीएसटी और डीटीसी को लागू करने के लिए विशेष खाका तैयार करने जैसा महत्वपूर्ण मुद्दा शामिल नहीं है।’
दायवा एएमसी के प्रमुख किलोल पांड्या ने कहा वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी द्वारा 16 मार्च को संसद में पेश बजट में पूंजी रिण बाजार के लिए कुछ सकारात्मक पहल की गई है लेकिन इसने बाजार के सामने कोई आश्चर्यजनक चीज नहीं पेश की है। उन्होंने कहा, ‘हालांकि जीडीपी और राजकोषीय घाटा के आंकड़े अनुमान के मुताबिक हैं और बजट में जीएसटी और डीटीसी को लागू करने के संबंध में कोई स्पष्टता नहीं है।’
संपत ने कहा ‘बजट में बुनियादी ढांचा पर खर्च करने और कृषि, कोयले और बिजली की आपूर्ति की बाधाएं दूर करने जैसे सकारात्मक कदम उठाए गए हैं।’ (एजेंसी)
First Published: Sunday, March 18, 2012, 13:41