बड़े डिफॉल्टर पर ध्यान केन्द्रित करें बैंक : चिदंबरम

बड़े डिफॉल्टर पर ध्यान केन्द्रित करें बैंक : चिदंबरम

बड़े डिफॉल्टर पर ध्यान केन्द्रित करें बैंक : चिदंबरमनई दिल्ली : बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) लगातार बढ़ने से चिंतित सरकार ने आज बैंकों से कहा है कि वह समय पर कर्ज नहीं लौटाने वाले बड़े कर्जदारों (डिफॉल्टर) पर ध्यान केन्द्रित करे और उनके खिलाफ कारवाई करें।

वित्त मंत्री चिदंबरम ने आज यहां सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और वित्तीय संस्थानों के प्रमुखों के साथ बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘हमने बैंकों से कहा है कि आप बड़े कर्जदार जो समय पर वापसी नहीं कर रहे हैं पर अपना ध्यान केन्द्रित रखिए, इसके साथ ही उन खातों पर भी गौर करना होगा जो बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं। प्रत्येक बैंक अपने उन 30 प्रमुख खातों पर नजदीकी से निगाह रखेगा जिनमें कर्ज वापसी नहीं हो रही है, वापसी में चूक करने वाले ऐसे कर्जदारों के खिलाफ कारवाई की जाएगी।’ चिदंबरम ने कहा कि बैंकों की कर्ज में फंसी राशि (एनपीए) में इन्हीं बड़े 30 खातों का ज्यादा हिस्सा होता है जिनमें वापसी समय पर नहीं हो रही है।

अर्थव्यवस्था के विभिन्न क्षेत्रों में सुस्ती के चलते बैंकों का एनपीए बढ़ता जा रहा है। मार्च 2011 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों का कुल एनपीए जहां 71,080 करोड़ रपये पर था वहीं दिसंबर 2012 तक यह बढ़कर 1.55 लाख करोड़ रपये तक पहुंच गया। चिदंबरम ने यह भी कहा कि बैंकों से कहा गया है कि वह अपनी आधार दर की समीक्षा करें। ‘आधार दर में कमी से ऋण वृद्धि तेज होगी।’ उन्होंने कहा कि जब तक बैंकों की आधार दर कम नहीं होगी तब तक ब्याज दर भी कम नहीं होगी।

चिदंबरम ने कहा कि चालू वित्त वर्ष के दौरान बैंक 8,000 से अधिक नई शाखाएं खोलेंगे और 50,000 से अधिक लोगों की भर्ती करेंगे। बैंक प्रमुखों के साथ बैठक के दौरान कृषि, सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्योगों, आवास, शिक्षा, अल्पसंख्यक समुदाय को दिए गए कर्ज और वित्तीय समावेश के क्षेत्र में किए गए कार्यों की समीक्षा की गई।

चिदंबरम ने कहा कि मार्च 2013 में समाप्त वित्त वर्ष में बैंकों की जमा पूंजी में जहां हल्की वृद्धि रही वहीं ऋण वृद्धि कम रही। वर्ष 2012-13 में बैंकों में जमा राशि वृद्धि 14.91 प्रतिशत रही जो कि इससे पिछले साल 14.4 प्रतिशत रही थी। इस दौरान ऋण वृद्धि 15.62 प्रतिशत रही जबकि इससे पिछले वर्ष यह 17.76 प्रतिशत रही थी।

सोने के बदले कर्ज पर पूछे गए सवाल पर चिदंबरम ने कहा, ‘आपको यदि सोने पर कर्ज चाहिए, तो इसकी ज्यादा संभावना है कि यह आपको नहीं मिलेगा।’ नए बैंक लाइसेंस के बारे में चिदंबरम ने कहा, ‘आपको सभी शर्तों पर खरा उतरना होगा।’ रिजर्व बैंक ही लाइसेंस जारी करेगा इसमें सरकार की कोई भूमिका नहीं है। (एजेंसी)

First Published: Wednesday, July 3, 2013, 16:54

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