'बढ़ते एनपीए से बैंक को खतरा नहीं' - Zee News हिंदी

'बढ़ते एनपीए से बैंक को खतरा नहीं'



मुंबई : बैंकों के बढ़ते फंसे कर्ज की वजह कारोबारी चक्र को बताते हुए रिजर्व बैंक ने मंगलवार को कहा कि गैर-निष्पादित आस्तियों (एनपीए) से बैंकिंग तंत्र को कोई खतरा नहीं है।

 

रिजर्व बैंक के डिप्टी गवर्नर सुबीर गोकर्ण ने कहा, यह (एनपीए) ऐसे स्तर पर नहीं पहुंचा है जिससे आंतरिक व्यवस्था के लिए खतरा पैदा हो। मुझे नहीं लगता कि हम उस स्तर पर हैं। उन्होंने एनपीए में वृद्धि के लिए विभिन्न घरेलू और अंतरराष्ट्रीय कारणों को जिम्मेदार बताया। यह कारोबारी चक्र के चलते है।

 

उल्लेखनीय है कि सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों की फंसे कर्ज यानी गैर-निष्पादित आस्तियां मार्च, 2010 तक बढ़कर कुल परिसंपत्तियों का 2.32 प्रतिशत तक पहुंच गई जो इससे पिछले साल 2.27 प्रतिशत थीं।
बैंकिंग क्षेत्र में एनपीए बढ़ने से चिंतित देश के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ने इस पर अंकुश लगाने के लिए एक अलग व्यवस्था की है। 30 जून को समाप्त हुई तिमाही में भारतीय स्टेट बैंक का एनपीए तीन साल के उच्च स्तर 3.52 प्रतिशत पर पहुंच गया।

 

बचत खाते पर ब्याज दरों को नियंत्रण मुक्त करने के आरबीआई के निर्णय पर गोकर्ण ने कहा कि इस कदम से बैंकों के बीच ग्राहक बनाए रखने के लिए प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी। इससे पहले, बैंकों को इस तरह की जमाओं पर चार प्रतिशत की दर से ब्याज देना अनिवार्य था, लेकिन दरों को नियंत्रण मुक्त किए जाने से यस बैंक और कोटक बैंक सहित निजी क्षेत्र के कुछ बैंकों ने ब्याज दरें बढ़ाकर छह प्रतिशत तक कर दी हैं। (एजेंसी)

First Published: Tuesday, November 8, 2011, 17:13

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