बाजार की खराब चाल, कंपनियां रहीं बेहाल - Zee News हिंदी

बाजार की खराब चाल, कंपनियां रहीं बेहाल




 


नई दिल्ली : वैश्विक अनिश्चितता और वित्त बाजारों की खराब चाल से इस साल निजी क्षेत्र की 35 कंपनियां पूंजी निर्गम के जरिये 33,000 करोड़ रुपये की राशि नहीं जुटा सकीं। जमीन जायदाद और बिजली क्षेत्र की अनेक कंपनियों ने बाजार की मंदी को देखते हुए बाजार में उतरने का फैसला टाल दिया और उनके प्रारम्भिक सार्वजनिक निर्गम (आईपीओ) नहीं लाए जा सके।

 

सरकार का विनिवेश कार्यक्रम भी बाजार की इस मंदी की भेंट चढ़ गया और ओएनजीसी, भेल और सेल के बहुचर्चित पब्लिक इश्यू बाजार में नहीं उतर सके। ओएनजीसी का इश्यू तो सरकार को ऐनवक्त पर वापस लेना पड़ा।

 

यूरोपीय देशों के संघ यूरो क्षेत्र की खराब हालात और अमेरिका की अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ने से आर्थिक दुनिया में अफरातफरी का माहौल है। विकसित देशों में मंदी से भारतीय अर्थव्यवस्था पर भी असर पड़ा है। निर्यात घटा है जबकि आयात लगातार महंगा हो रहा है। भारतीय मुद्रा पर इस स्थिति का असर पड़ा है। डॉलर की मांग बढ़ने से रुपया कमजोर हुआ है।

 

पूंजी बाजार पर नजर रखने वाली संस्था एसएमसी ग्लोबल सिक्युरिटीज लिमिटेड के अनुसार इस साल लोढा डेवलपर्स, एंबियेंस रीएल एस्टेट, कुमार अर्बन डेवलपर्स, नेप्चून डेवलपर्स, बीपीटीपी, रहेजा यूनिवर्सल और लवासा कापरेरेशन के अलावा बिजली क्षेत्र की स्टरलाइट एनर्जी, जिंदल पावर, अवंता पावर और आईएनडी भारत पावर इंफ्रा बाजार की खस्ता हालात के चलते आईपीओ नहीं ला सकी और 32,200 करोड़ रुपये नहीं जुटा सकीं।रिलायंस इंफ्राटेल, ग्लेमार्क जेनेरिक्स, गुजरात स्टेट पेट्रो कापरेरेशन और वन.97 कम्युनिकेशंस लिमिटेड भी आईपीओ की मंजूरी मिलने के बावजूद पिछले एक साल में बाजार में नहीं उतर सकी।

 

पूंजी बाजार की स्थिति ऐसी रही कि कंपनियां बाजार में उतरने की हिम्मत नहीं जुटा पाइ’। इन कंपनियों के निर्गमों को एक साल पहले सेबी की मंजूरी मिल गई थी लेकिन सालभर बीत गया और निर्गम बाजार में नहीं आया। माइक्रोमैक्स इंफार्मेटिक्स लिमिटेड 426 करोड़ रुपये के अपने इश्यू को पहले ही टालने की घोषणा कर चुकी है। जबकि कंपनी के पास अगले साल जनवरी तक इसे लाने का समय है। तारा ज्वैल्स, तारा हेल्थ फूड्स लिमिटेड, बेतुल आयल लिमिटेड जैसी करीब आठ कंपनियां है जिनके पास आईपीओ लाने के लिये सेबी की मंजूरी है, दो महीने उनकी वैध अवधि के बचे हैं लेकिन उनके बाजार में उतरने के कोई संकेत नहीं हैं।

 

सरकार ने इस वर्ष केन्द्रीय सार्वजनिक उपक्रमों में विनिवेश के जरिये 40,000 करोड़ रुपये जुटाने का लक्ष्य रखा था। लेकिन वह कदम नहीं उठा सकी। ओएनजीसी का इश्यू तो ऐनवक्त पर वापस लेना पड़ा। भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (भेल), स्टील अथॉरिटी ऑफ इंडिया लिमिटेड (सेल), इंडियन ऑयल कापरेरेशन, ऑयल इंडिया लिमिटेड सहित सार्वजनिक क्षेत्र की कई कंपनियों के अनुवर्ती सार्वजनिक निर्गम (एफपीओ) लाने का कार्यक्रम था लेकिन पूंजी बाजार में गिरावट के चलते इसमें कोई प्रगति नहीं हो पाई।

 

बंबई शेयर बाजार का संवेदी सूचकांक पिछले साल दिसंबर में जहां 20,000 अंक के ईदगिर्द चल रहा था वहीं इस साल की समाप्ति पर यह घटकर 15,000 से 16,000 अंक के बीच झूल रहा है।  (एजेंसी)

First Published: Sunday, December 25, 2011, 18:22

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