Last Updated: Sunday, March 4, 2012, 06:06
नई दिल्ली: विभिन्न तरह की धोखाधड़ी के मामलों के चलते भारतीय बीमा कंपनियों को बीते साल 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का चूना लगा। पुणे की एक कंपनी इंडियाफोरेंसिक के अध्ययन में यह दावा किया गया है।
इसमें कहा गया है कि इस नुकसान के प्रमुख कारणों में कंपनी कर्मचारियों तथा बाहरी लोगों के बीच सांठगांठ, फर्जी दस्तावेज तथा मृत्यु दावों के लाभ के लिए दस्तावेजों में गड़बड़ी शामिल है।
फर्म ने एक रपट में कहा है कि बीमा क्षेत्र को इस मद में अनुमानत: 30,401 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ जो कि 2011 में बीमा उद्योग के कुल आकार का लगभग नौ प्रतिशत है। भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकार के आंकड़ों के अनुसार बीमा कंपनियों का कुल प्रीमियम लगभग 3.5 लाख करोड़ रुपये है। इसमें जीवन, सामान्य तथा स्वास्थ्य बीमा शामिल है। इंडियाफोरेंसिक धोखाधड़ी की जांच, सुरक्षा, जोखिम प्रबंधन आदि के क्षेत्र में काम करती है और वह कई प्रमुख मामलों में सीबीआई जैसी जांच एजेंसियों की मदद कर चुकी है।
कहा गया है कि इस क्षेत्र में लगभग 14 प्रतिशत धोखाधड़ी मामले सामान्य बीमा से जुड़े हैं जिसमें कार, घर जैसी संपत्तियों के नुकसान का जोखिम आता है। शेष 86 प्रतिशत धोखाधड़ी मामले जीवन बीमा से जुड़े हैं।
रपट के अनुसार बीते पांच साल में जीवन बीमा क्षेत्र में धोखाधड़ी के मामले 103 प्रतिशत बढ़ गए हैं जबकि इसी दौरान सामान्य बीमा कारोबार में धोखाधड़ी के मामलों में 70 प्रतिशत वृद्धि आई। इसमें कहा गया है कि धोखाधड़ी के मामलों से 2007 में बीमा कंपनियों को 15,288 करोड़ रुपये का चूना लगा। इसमें जीवन बीमा कंपनियों को 13,148 करोड़ र तथा सामान्य बीमा कंपनियों को 2,140 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। जबकि 2011 में यह राशि 30,411 करोड़ रुपये रहने का अनुमान लगाया गया है।
(एजेंसी)
First Published: Sunday, March 4, 2012, 11:37